Navsamvatsar 2082: चैत्रमास की नवरात्रि की शुरुआत आज से हो चुकी है और इसी के साथ ही Navsamvatsar 2082 का भी शुभारंभ आज से ही माना जाता है चैत्रमास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा पर रविवार को सूर्य की किरणों संग नव विहान हुआ तो काशीवासियों का रोम-रोम उमंग और उल्लास से खिल उठा। अस्सी से राजघाट तक सूर्योदय होते ही घंटा-घडियाल की गूंज के साथ अर्घ्य दिया और प्रभाती रागों से नवसंवत्सर 2082 की अगवानी की।



केदार घाट पर बटुकों ने दिया सूर्य अर्घ्यदान
वाराणसी के केदार घाट पर भक्तों ने नवसंवत्सर के पावन अवसर पर सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर हिंदू नववर्ष (Navsamvatsar 2082) की शुरुआत की। इस मौके पर सूर्य नमस्कार व अन्य धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए। इसमें सबसे पहले बटुकों ने विधिवत पूजन अर्चन के साथ देवों की आराधना कर हिंदू नववर्ष की शुरुआत के साथ वर्षभर सुख-समृद्धि की कामना की। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के आचार्यत्व में बटुकों ने विधिवत पूजन अर्चन कर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। मठों, मंदिरों पूजन अर्चन के साथ ही सामाजिक संस्थाओं की ओर से भी आयोजन हुए।



Navsamvatsar 2082: सनातनी पंचांग का विमोचन
बताते चलें कि केदार घाट पर आयोजित इस आयोजन में सूर्य अर्घ्यदान, पूजन अर्चन हुआ। डमरू और शंख वादन, धेय गीत और प्रभाती रागों से नववर्ष (Navsamvatsar 2082) का अभिनंदन किया। वहीं हिंदू नववर्ष पर पूरे विश्व के सनातन धर्मियों के लिए शुभकामनाएँ और विशेष संदेश जारी किया गया और सनातनी पंचांग का विमोचन एवं वार्षिक फलादेश का वाचन करते हुए गौमाता संरक्षण पर विशेष चर्चा हुई इसके साथ ही शंकराचार्य ने गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित कराने हेतु बनाई गई गौनीति का खुलासा किया।




इसी कड़ी में अस्सी घाट पर पूर्व महापौर राम गोपाल मोहले के संग अन्य काशीवासियों ने मिलकर उगते सूर्य को अर्घ्यदान कर नव संवत्सर (Navsamvatsar 2082) का स्वागत किया और देश के सुख-समृद्धि व प्रगति की कामना की।



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