वाराणसी। आजमगढ़ से भाजपा सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने संसद में अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अहीर रेजिमेंट बना तो चीन की रूह कांप जाएगी। निरहुआ ने 1962 के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि देश को अहीर रेजिमेंट की ज़रूरत है। इससे पूर्व उन्होंने शून्यकाल में बोलने देने के लिए लोकसभा स्पीकर का आभार व्यक्त किया। निरहुआ ने 2019 में लोकसभा चुनावों के दौरान भी अहीर रेजिमेंट के लिए आवाज़ उठाने का वादा किया था।
निरहुआ ने कहा कि अहीर रेजिमेंट की मांग लम्बे समय से चल रही है। सेना में सभी धर्म, जाति, संप्रदायऔर राज्य के लोग रहते हैं। सेना में इनके योगदान और बलिदान के आधार पर रेजिमेंट का निर्माण किया गया है। जाति, धर्म, संप्रदाय और राज्यों का आधार पर अहीर रेजिमेंट की मांग की गई है। इसे देखते हुए अहीर रेजिमेंट की मांग को बिल्कुल जायज बताया गया है। निरहुआ ने संसद में सरकार से मांग किया कि जल्द से जल्द अहीर रेजिमेंट का गठन किया जाय।
162 अहीर जवानों ने 3000 सैनिकों को चटाई थी धूल
निरहुआ ने आगे कहा कि जिस दिन अहीर रेजिमेंट का गठन होगा। उस दिन चीन की रूह काँप जाएगी। भाजपा सांसद ने 1962 के युद्ध की याद दिलाते हुए कहा कि कैसे चीन को रेजांगला चौकी पर 162 अहीर जवानों ने 3000 से अधिक चीनी सैनिको को मार गिराया था। यह इतिहास है। इस घटना को इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।
निरहुआ ने चीन को करारा जवाब देने के लिए इस पुरानी मांग पर संसद में एक बार फिर चर्चा की है। बता दें कि पिछले दिनों चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों में झड़प के बाद जमकर हंगामा हुआ था। अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में भारतीय सेना के जवानों ने चीनी सैनिकों के घुसपैठ को विफल कर दिया था। इस दौरान दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई थी।
इसलिए उठी अहीर रेजिमेंट की मांग
दरअसल, हरियाणा के दक्षिणी जिले रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम के पूरे क्षेत्र को अहीरवाल (Ahirwal Region) कहा जाता है। इसका संबंध राजा राव तुलाराम से है जो 1857 की क्रांति के अहीर हीरो थे। वह रेवाड़ी स्थित रामपुरा रियासत के राजा थे। अहीरवाल की भूमि पर अंग्रेजों से मुकाबला करने वाले राजा राव को क्रांति का महानायक कहा जाता है। इस क्षेत्र में काफी समय से अहीर रेजिमेंट की मांग हो रही है। जिन-जिन राज्यों में अहीर आबादी ज्यादा है, वहां यह मांग उठती रहती है।
1962 में रेजांग ला की जंग में हरियाणा के जांबाज अहीर सैनिकों की बहादुरी की खबर मिलने के बाद अहीर सैनिक पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए। आज भी उन अहीरों के शौर्य और बलिदान को याद किया जाता है। उस समय कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन की C कंपनी के ज्यादातर सैनिक चीनी सैनिकों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे लेकिन दुश्मन को आगे नहीं बढ़ने दिया। वे तमाम कोशिशों के बाद भी रेजांगला चौकी पर कब्जा नहीं कर पाए और चुशूल में आगे बढ़ने का उनका सपना चकनाचूर हो गया।