लखनऊ। बंथरा नगर पंचायत कार्यालय के पास चल रहे सात दिवसीय तृतीय श्रीमद् भागवत कथा में वृंदावन मथुरा के आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने जड़ भरत चरित्र के माध्यम से सभी श्रोताओं को बतलाया। चौथे दिन गुरुवार देर शाम शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा में उन्होंने कहा कि अन्तेमति सा गति भगवान के परम धाम जाने का समय आता है। उन्होंने कहा मनुष्य को अधिक से अधिक समय हरिकीर्तन में व्यतीत करना चाहिए। क्योंकि जैसे जड़ भरत की आसक्ति अंत समय में हिरण में लगी हुई थी और अगले जन्म में वह हिरण बन कर आए।

वैसे ही मनुष्य की अंत समय में जैसी आसक्ति होगी, उसी प्रकार की योनि मिल जाएगी। महाराज ने गजेंद्र मोक्ष की कथा सुनाते हुए कहा सभी श्रद्धालुओं को वानप्रस्थाश्रम में जाने से परिवार से विरक्ति ले लेनी चाहिए। उन्होंने वान चरित्र का सुंदर वर्णन करते हुए समाज को सुंदर संदेश दिया। उन्होंने कहा जिस प्रकार वामन भगवान राजा बली को छलने गए थे, परंतु खुद ही छल गए और उनको राजा बलि के यहां भूतल लोक में चौकीदार बन के रहना पड़ा। उसी प्रकार मानव मात्र को अपने मन में किसी को छलने का भाव नहीं बनाना चाहिए, नहीं तो खुद ही छल जाओगे। राम चरित्र का वर्णन करते हुए पूज्य महाराज जी ने बताया कि राम को आदर्श मानो, जीवन बहुत सुंदर गुजरेगा। कथा विश्राम से पहले कृष्ण जन्मोत्सव पर सभी श्रद्धालुओ ने कथा और झांकियों का खूब आनंद लिया। इस दौरान देर रात तक चली भागवत कथा के बाद श्रद्धालुओं ने पूड़ी सब्जी का प्रसादी भी ग्रहण किया।
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