अंतिम संस्कार के लिए चंदन की लकड़ी से सजाई गई चिता
गोरखपुर। पूर्वांचल के कद्दावर नेता व यहां की राजनीति के पंडित माने जाने वाले पंडित हरिशंकर तिवारी की अंतिम विदाई में सैकड़ों का जन सैलाब उमड़ा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रह्मा शंकर तिवारी ने भी उनको श्रद्धांजलि दी है तो वहीं उनके पैतृक गांव चिल्लू पार स्थित टाडा में भी उनके अंतिम दर्शन की व्यवस्था की गई है। वहीं निधन के बाद से ही गोरखपुर के तिवारी हाता पर उनके समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा है। सभी लोग उनकी एक झलक देखने के लिए बेताब दिखाई दे रहे हैं। तो वहीं खबर सामने आ रही है कि अंतिम यात्रा उनके पैतृक गांव से मुक्तिधाम से लिए निकलेगी। सूत्रों के मुताबिक यूपी सरकार में 5 बार कैबिनेट मंत्री रहे पंडित हरिशंकर तिवारी का मंगलवार की शाम को धर्मशाला स्थित आवास पर निधन हो गया था। वह करीब 2 साल से बीमार चल रहे थे बुधवार सुबह उनके धर्मशाला स्थित हाता आवास से उनका पार्थिक शरीर बड़हलगंज स्थित मुक्तिधाम के लिए निकला, लेकिन इसस पहले उनका शव टाडा जाएगा और यहां पर नेशनल पीजी डिग्री कॉलेज में समर्थकों और दर्शनार्थियों के दर्शन हेतु शव को रखा जाएगा। उसके बाद यहां से मुक्तिधाम पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। अंतिम संस्कार के लिए चंदन की लकड़ी से चिता सजाई गई। आप को बताते चले कि पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के परिवार में दो बेटे पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी के अलावा एक बेटी है।

बता दें कि पंडित हरिशंकर तिवारी की राजनीति की शुरूआत सन 1985 से हुई जब वह पहली बार चिल्लूपार विधानसभा से विधायक चुने गए। तीन बार कांग्रेस पार्टी से विधायक रहने के बाद उन्होंने अपनी भी एक पार्टी बनाई थी। वह गोरखपुर के बाहुबली नेता थे और उनको पूर्वांचल की राजनीति का पंडित कहा जाता था। कहते हैं कि उन्होंने गोरखपुर की राजनीति मे बुलेट और बैलेट दोनों पर धाक जमाई थी और सरकारें चलाईं थी। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हरिशंकर तिवारी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा हरिशंकर तिवारी और मैं कल्याण सिंह की सरकार में एक साथ मंत्री थे। उनके निधन से पूर्वांचल की राजनीति में एक खालीपन आया है। मैं उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उनके परिवार को इस दुख कि घड़ी को सहन करने की भगवान से प्रार्थना करता हूं। हरीशंकर तीवारी का जन्म बड़हलगंज के टांड़ा गांव में 5 अगस्त, 1935 को हुआ था। वे चिल्लूपार विधानसभा सीट से 1985 में पहली बार विधायक चुने गए। यह चुनाव उन्होंने जेल में बंद रहते हुए लड़ा था। जीत का यह सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो 2002 तक जारी रहा। 2007 में पूर्व पत्रकार राजेश त्रिपाठी ने हरिशंकर तिवारी को मात दी। गोरखपुर विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से प्रदेश की राजनीति में आने वाले हरिशंकर तिवारी चिल्लूपार सीट से लगातार 6 बार विधायक चुने गए। 1997 में उन्होंने जगदंबिका पाल, राजीव शुक्ला, श्याम सुंदर शर्मा और बच्चा पाठक के साथ मिलकर अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस की स्थापना की।
sudha jaiswal