घूस नहीं तो वाहन का फिटनेस नहीं
पास को फेल फेल को पास करने का चल रहा है खेल
लखनऊ। परिवहन विभाग की ओर से आनलाइन स्लाट लेने और आनलाइन फीस जमा करने की सुविधा के बाद भी ट्रांसपोर्टरों, वाहन स्वामियों की गाड़ी का फिटनेस नहीं हो पा रहा है। यहां पर लंबी स्लाट होने के चलते वाहनों को फिटनेस सेंटर के अंदर प्रवेश के लिए टोकन लेना पड़ता है। टोकन लेने के एवज में सुविधा शुल्क अदा करना पड़ता है यहां पर उन्हीं वाहनों को फिटनेस सेंटर में प्रवेश दिया जाता है जिनका नंबर लगाने के लिए टोकन शुल्क और वाहन का मशीन से तकनीकी जांच के लिए घूस का पैसा जमा होता है। ऐसे में यहां पर साफ कहा जाता है कि घूस नहीं तो वाहन का फिटनेस नहीं,जिन वाहनों का पैसा नहीं जमा होता है उन वाहन स्वामी को काफी चक्कर लगाने के बाद गाड़ी बिना पास हुई बैरंग वापस ले जाना पड़ता है। ऐसे वाहनों को यहां पर मशीन से जांच के दौरान फेल का सामना करना पड़ता है। गाड़ी पास कराने के लिए यहां श्रीहरि फीलिंग कंपनी के कर्मचारी की ओर से 3 गुना सुविधा शुल्क यानी घूस मांगा जाता है जिससे आये दिन गाड़ी मालिक और कर्मचारियों के बीच कहासुनी आम बात हो गई है ।

विजुअल और स्पीड गवर्नर के नाम आरआई को अलग देना होता है शुल्क
परिवहन विभाग के वाहन फिटनेस सेंटर पर सबसे महत्वपूर्ण व गौर करने वाली बात तो यह है कि जब यहां पर कोई वाहन प्रवेश करता है तो संभागीय निरीक्षक आरआई वाहन का विजुअल और स्पीड गवर्नर चेक करता है ऐसे में अगर वाहन का शुविधा शुल्क जमा रहता है तो आरआई गाड़ी को अंदर जांच के लिए जाने देता है अगर नहीं है तो तमाम कमियां निकालकर उसे वापस ठीक कराकर लाने को कहता है। महज तीन से साढ़े तीन हजार रुपये में बिकने वाला स्पीड गवर्नर वाहन स्वामियों को सात से आठ हजार रुपये तक देकर गाड़ियों में फिट कराना पड़ रहा है। अब इसे लगाने के बाद फिटनेस कराने पहुंच रही वाहनों को डीलर से प्रमाणपत्र लेना पड़ रहा है। सर्टिफिकेट देने के एवज में 1000-1200 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। प्रमाणपत्र दिखाए बिना परिवहन विभाग गाड़ियों की फिटनेस नहीं कर रहा है। मजबूरी में वाहन स्वामी को जेब ढीली करनी पड़ रही है।
तीन दिन में आ रही है पास-फेल की रिर्पोट
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि आरटीओ में वाहन फिटनेस के लिए परिवहन विभाग की ओर से कोई सुविधा नहीं मिल रही है। यह की व्यवस्था अव्यवस्था की भेट चढ़ गयी है। वास्तविक बात तो यह है कि यहां गाड़ियों की फिटनेस की रिपोर्ट पास या फेल है इसकी रिपोर्ट 2 दिन में आ रही है ऐसे में वाहन चालक गाड़ी लेकर फिटनेस केंद्र के बाहर इंतजार करने को बाध्य हैं।
वाहनों के फिटनेस के नाम पर सुविधा शुल्क लेने के जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। यह गंभीर बात है इसकी जांच कराकर दोषी अधिकारियों व फिटनेस करने वाली कंपनी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी। सुरेन्द्र कुमार,उप परिवहन आयुक्त परिक्षेत्र लखनऊ ।
sudha jaiswal