लखनऊ। पर्यावरणीय वैज्ञानिक डॉ. सीआर कृष्णमूर्ति के जन्मदिवस पर शुक्रवार को सरोजनीनगर स्थित भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान गहरु परिसर में शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया गया। इस शताब्दी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने डॉ. सीआर कृष्णमूर्ति के जीवन चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ. सीआर कृष्णमूर्ति प्रख्यात पर्यावरणीय वैज्ञानिक होने के साथ ही व्यवसायिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी थे। उन्होंने कहा कि वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सर्वप्रथम श्वसन प्रणाली को हानिकारक धूल एवं प्रदूषकों के अवशोषण के एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में पहचान की। उन्होंने भारत में विश्व विज्ञान के नए क्षेत्रों जैसे- औद्योगिक स्वास्थ्य, औद्योगिक विश्व विज्ञान और व्यवसाय चिकित्सा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने पर्यावरण मानीटरन एवं वायु, जल तथा मृदा के प्रदूषण का सामना करने के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास हेतु संस्थान की सेवाओं की सराहना की। साथ ही डॉ. सीआर कृष्णमूर्ति के सम्मान में संस्थान के गहरु परिसर का नाम बदलकर सीआरके परिसर कर दिया गया। समारोह में उपमुख्यमंत्री ने डॉ. कृष्णमूर्ति की एक अर्ध प्रतिमा का अनावरण भी किया।

इसके अलावा 24 फरवरी से चल रहे एक सप्ताह एक प्रयोगशाला ओडब्ल्यूएएल अभियान का समापन भी किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक व प्रसिद्ध कलाकार डॉ. अनिल रस्तोगी के अलावा नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह, सीएसआइआर- आईआईटीआर के निदेशक डॉ. भास्कर नारायण, सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स के निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार त्रिवेदी, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. अजीत कुमार साहनी सहित तमाम अन्य लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम में बीती 27 फरवरी को आयोजित रिसर्च स्कॉलर्स पोस्टर प्रस्तुतीकरण प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। वहीं सीएसआइआर- आईआईटीआर और एनबीएल द्वारा फलों और सब्जियों में कीटनाशक अवशेषों का विश्लेषण विषयक तीन दिवसीय संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागियों को भी सम्मानित किया गया।
sudha jaiswal