लखनऊ। सात दिवसीय तृतीय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन शुक्रवार देर शाम शुरू हुई भागवत कथा की शुरुआत कथावाचक आचार्य विष्णु कान्त शास्त्री ने कृष्ण की बाल लीलाओं से की। बंथरा नगर पंचायत कार्यालय के पास चल रही इस भागवत कथा में आचार्य ने कृष्ण बाल लीला का वर्णन करते हुए कहा जब जब होई धरम की हानी, बाढ़ई असुर अधम अभिमानी। अर्थात धरती पर जब जब अत्याचार, अधर्म और पाप अधिक बढ़ जाता है, तब-तब भगवान असुरों को नष्ट करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं।

उन्होंने कहा कि कंस का अत्याचार बढ़ जाने से पृथ्वी पर बहुत पाप बढ़ गया और पाप का नाश करने के लिए नंद नंदन यशोदा नंदन भगवान श्रीकृष्ण ब्रज में अवतार ले कर आए। पांच वर्ष तक गोकुल में श्री ठाकुर जी ने लीला की, उसके बाद श्रीधाम वृंदावन में सभी ब्रज वासियों को लेकर आए। वृंदावन आने के बाद बहुत बाल लीलाओं का आनंद लेते हुए इंद्र का मान मर्दन किया। उन्होंने कहा श्रीगोवर्धन महाराज की सभी ब्रज वासियों के साथ पूजा अर्चना की। जो श्री ठाकुर जी को अनन्यता से भजता है, परमात्मा उस पर महान कृपा प्रकट करते हैं। इसलिए प्रभु का भजन करते रहना चाहिए, जब तक आनंद प्राप्त ना हो जाए। कथा विश्राम से पहले सभी भक्तों ने गिरिराज महाराज की पूजा अर्चना करने के साथ ही परिक्रमा कर आनंद प्राप्त किया। उसके बाद दिव्य झांकी ने सभी श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। देर रात तक चली भागवत कथा के बाद दूरदराज से आए सभी श्रोताओं ने भागवत भगवान की आरती की और इसके बाद चलने वाले भंडारे में पूड़ी सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया।
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