लखनऊ। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित महानाट्य जाणता राजा के आयोजन से पूर्व शिवाजी के व्यक्तित्व से जन-जन को रूबरू कराने के लिए दिव्य प्रेम सेवा मिशन की युवाशक्ति इकाई ने शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने कहा कि भारत के इतिहास की गौरवशाली यात्रा से जनमानस को परिचित कराना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। हमारी आने वाली पीढ़ी अपने महानायकों के त्याग से अनभिज्ञ है, जिससे उनका परिचय कराना हम सभी का कर्तव्य है।
आम्बेकर ने कहा कि आज का युवा ही राष्ट्र को समृद्धशाली बनाएगा। इसलिए उसे राष्ट्र के महानायकों की त्याग से परिपूर्ण संघर्षमयी यात्रा के बारे में जानना बहुत जरूरी है। दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. आशीष गौतम ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि छत्रपति शिवाजी ने बहुत संघर्षों के बाद हिन्दवी स्वराज की स्थापना करने में सफलता पाई थी। लेकिन इतिहास में उनके किरदार और योगदान को बहुत सीमित की दर्शाया गया है। जबकि शिवाजी महाराज ने भारतीयों को एकजुट कर विदेशी आक्रांताओं को परास्त कर हिन्दवी स्वराज की स्थापना की थी। आज की पीढ़ी सेंटाक्लाज को अच्छे से पहचानती है लेकिन यदि उन्हें वीर शिवाजी या स्वामी विवेकानंद की तस्वीर दिखाई जाए तो वह उन्हें नहीं पहचान पाएंगे। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित ऐतिहासिक महानाट्य राष्ट्र के महानायकों के संघर्ष से आज की युवा पीढ़ी को रूबरू कराने में सफल होगा। दिव्य प्रेम सेवा मिशन युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना को प्रबल करने के लिए बहुत ही नेक कार्य कर रहा है। संगोष्ठी की अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह ने की।
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