लखनऊ। विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के उपलक्ष्य में जीनियस लेन चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर की तरफ से ओ पी चौधरी हॉस्पिटल के सभागार में रविवार को एक जन जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में बाल रोग विशेषज्ञों एवं अभिभावकों ने भाग लिया । इस संगोष्ठी में शामिल भारतीय बाल अकादमी के उत्तर प्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय निरंजन ने बताया कि प्रत्येक 100 बच्चे में एक बच्चे को ऑटिज्म की समस्या होती है हमारे प्रदेश की बच्चों की जनसंख्या को ध्यान में रखा जाए तो लगभग 10 लाख बच्चे पूरे प्रदेश में आॅटिज्म की समस्या से जूझ रहे है, परंतु इनके इलाज के लिए चल रहे जितने भी केंद्र हैं वे बच्चों के डॉक्टरों के निर्देशन में नहीं चल रहे हैं , इसलिए इस समस्या को लेकर अभिभावकों में भ्रांति फैल गई है और बच्चों के ऊपर तरह-तरह के प्रयोग शुरू हो गए हैं , जबकि होना यह चाहिए कि प्रदेश में इस तरह के जितने भी चाइल्ड डेवलपमेंट सेंटर खुलें वे डॉक्टरों के निगरानी और निर्देशन में खुलें क्योंकि बाल रोग विशेषज्ञ, बच्चों में आटिज्म के पीछे का मेडिकल कारण भी समझते हैं और प्रत्येक बच्चे की आवश्यकता समझकर इलाज में परिवर्तन भी कर सकता है । ओ पी चौधरी हॉस्पिटल के मेडल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर महिपाल सिंह ने बताया कि अभिभावकों को आटिज्म की मूल समस्या और इलाज से पहले इलाज का परिणाम जरूर पता कर लेना चाहिए । ऑटिज्ममे थेरेपी नहीं बल्कि इंटरवेंशन की आवश्यकता है जिसमें प्रत्येक बच्चे की आवश्यकता के अनुसार इंटरवेंशन किया जाता है। ओ पी चौधरी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर आरोहन सिंह ने बताया कि अभिभावक अपनी इच्छाओं को अपने बच्चे पर प्रक्षेपित ना करें बल्कि बच्चे की आवश्यकता समझे और उन्हें लचीले वरावरण में रखें ।
sudha jaiswal