संभल में 1978 में हुए दंगों की फिर से चर्चा
1978 में उत्तर प्रदेश के संभल में हुए दंगे एक बार फिर चर्चा में हैं। शासन ने दंगों से जुड़ी जानकारी और जांच रिपोर्ट मांगी है। जिला अधिकारी (डीएम) राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एमएलसी श्रीचंद शर्मा ने विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाया था।
शासन से प्राप्त निर्देश के तहत, संभल प्रशासन से दंगों के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी मांगी गई है। डीएम पेंसिया ने यह भी स्पष्ट किया कि दंगों की कोई नई जांच नहीं होगी, क्योंकि अदालत ने पहले ही इस मामले में फैसला सुना दिया है। वहीं, पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण विश्नोई ने कहा कि दंगे की दोबारा जांच को लेकर फैलाई जा रही अफवाहें गलत हैं।
शासन ने इन पांच बिंदुओं पर मांगी जानकारी:
- दंगा कब और क्यों हुआ?
- दंगे में कितने लोग मारे गए, उनकी विस्तृत जानकारी।
- दंगे के दौरान दर्ज हुई एफआईआर और कोर्ट में पेश किए गए चालान की रिपोर्ट।
- अदालत का इस मामले में क्या फैसला था?
- क्या किसी को न्याय मिला या नहीं?
1978 में क्या हुआ था?
संभल दंगे का मुख्य कारण होली जलाने को लेकर दो समुदायों के बीच उपजा तनाव बताया गया। 25 मार्च को होली थी, और 29 मार्च को संभल में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क उठे। इन दंगों में 184 लोगों की जान चली गई थी। कई लोगों की लाशें तक नहीं मिली थीं, और उनके पुतले बनाकर दाह संस्कार किया गया।
दंगे का विस्तार:
इन दंगों में सबसे बड़ा नरसंहार कारोबारी बनवारी लाल के परिवार का हुआ था। बनवारी लाल ने अपने साले मुरारी लाल की कोठी में कई लोगों को छिपाया, लेकिन दंगाइयों ने ट्रैक्टर से गेट तोड़कर 24 लोगों की हत्या कर दी।
दंगों के प्रमुख कारण:
- होली जलाने पर विवाद
- अफवाहें, जिनमें कहा गया कि एक समुदाय के व्यक्ति को दूसरे समुदाय ने मारा।
पीड़ित परिवारों की हालत:
दंगों के दौरान और बाद में कई परिवारों को संभल छोड़ना पड़ा। बनवारी लाल का परिवार 1995 में संभल से पलायन कर गया।
1978 दंगों पर अदालत का फैसला:
इस मामले में 48 लोगों को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, सबूतों की कमी के चलते 2010 में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसे मामलों में सजा न होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
शासन के हालिया निर्देश:
6 जनवरी 2025 को गृह विभाग के उप सचिव सत्येंद्र प्रताप सिंह ने संभल के एसपी को निर्देश दिया कि एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंपें। एसपी कृष्ण विश्नोई ने इस कार्य के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) श्रीशचंद्र को जिम्मेदारी सौंपी।
विधान परिषद में उठाया गया मामला:
भाजपा एमएलसी श्रीचंद शर्मा ने 17 दिसंबर 2024 को विधान परिषद में यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि 1978 में दर्जनों हिंदुओं को जिंदा जला दिया गया था। सैकड़ों लोगों की हत्या कर उनके मकानों और दुकानों पर कब्जा कर लिया गया। उन्होंने पीड़ितों को न्याय दिलाने और दंगों की दोबारा जांच कराने की मांग की।
सीएम योगी आदित्यनाथ का बयान:
उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस दंगे का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 1978 के दंगों में 184 हिंदुओं की हत्या हुई थी। मुख्यमंत्री ने दंगों के दौरान हुए अत्याचारों को याद दिलाते हुए कहा कि दंगाइयों ने निर्दोष लोगों पर अत्याचार किया, लेकिन उन्हें कभी न्याय नहीं मिला।
दंगों के बाद का माहौल:
दंगे के बाद शहर में दो महीने तक कर्फ्यू लगा रहा। 150 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद स्थिति को सामान्य होने में लंबा समय लगा।
संभल में हालिया विवाद:
24 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद क्षेत्र में बिजली चोरी के खिलाफ सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इसके बाद 1978 के दंगों के पीड़ित परिवारों ने फिर से अपनी पीड़ा साझा की।
दंगे की पुरानी रिपोर्ट और तथ्य:
मीडिया द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया कि दंगों में न केवल लोगों की हत्या हुई, बल्कि उनके घरों और दुकानों को भी लूट लिया गया। कई पीड़ितों को अब तक न्याय नहीं मिला है।
Highlights
क्या होगी दोबारा जांच?
हालांकि, दंगों की फाइल फिर से खुलने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि दंगे की कोई नई जांच शुरू नहीं की जाएगी। फिलहाल, शासन को केवल पुरानी रिपोर्ट और दस्तावेज सौंपे जाएंगे।