भारत वह भूमि हैं जहाँ सनातन संस्कृति फली फूली हैं तथा लाखों वर्षों तक मानव जाति व विश्व का कल्याण किया है। इसी सनातन संस्कृति ने मनुष्य को जीवन जीने के उच्च मूल्यों से अवगत करवाया तथा एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। संपूर्ण भारत भूमि पर कभी भी एक राजा या व्यक्ति का शासन नही रहा तथा यह विभिन्न जनपदों में बंटी थी जिस पर अलग-अलग राजा हुए तथा सबसे शक्तिशाली राजा को भारत का मुख्य राजा कहा जाता था ।
इस भारत भूमि ने संपूर्ण विश्व को अपना परिवार समझा तथा सभी की भलाई को ही अपना उद्देश्य बताया लेकिन समय के कुचक्र के साथ-साथ कई लोगों के द्वारा विश्व के अन्य हिस्सों में अलग धर्म बना दिए गए जिसमें शत्रुता का भाव ज्यादा था। इसी के फलस्वरुप उन्होंने मानव जाति के कल्याण में लगी धर्म की भूमि भारत पर कई आक्रमण किये तथा अपनी सुविधा के अनुसार कई नाम भी दिए। आज हम भारत के अपने नाम तथा दूसरों के दिए गए नामों के बारे में जानेंगे।
भारत देश के विभिन्न नाम
भारत या भारतवर्ष
भारत का सबसे प्राचीन तथा मुख्य नाम भारत माना जाता हैं जिसका उल्लेख कई पुराणों, ग्रंथों तथा महाकाव्यों में उल्लेखित हैं। इसे भारत देश, भारतवर्ष, भारत गणराज्य, भारत महाद्वीप इत्यादि कई नामों की संज्ञा दी गयी है। भारत नाम पड़ने के ऊपर अलग-अलग पुराणों में विभिन्न बातें लिखी हुई हैं लेकिन मुख्यतया सभी में इसे महाराज ऋषभराज के पुत्र भरत के नाम पर रखा नाम मानते है। इसके अलावा इसे महाभारत काल के समय के अनुसार महाराज दुष्यंत के पुत्र भरत के नाम पर रखना भी मानते हैं लेकिन यह कथा बहुत बाद की है।
आर्यवर्त
मुख्यतया त्रेतायुग या भगवान राम के समय भारत की भूमि को आर्यवर्त के नाम से जाना जाता था। इसका उल्लेख कई बार वाल्मीकि रचित रामायण में किया गया हैं। आर्य का अर्थ हुआ जो आर्यों की भूमि हैं। आर्यवर्त को मुख्यतया उत्तर भारत के नाम की संज्ञा दी गयी थी।
मेलुहा/ मलुहा/ मालवा
यह अधिकारिक नाम कभी नही था तथा मिस्र देश की पास की धरती को इस नाम से जाना जाता था। मुख्यतया इसमें गुजरात, राजस्थान तथा उसके आसपास की भूमि आती थी। प्राचीन कथाओं में कई बार भारत की भूमि को चीन, अफ्रीका इत्यादि देशों से आने वाले लोगों ने यह नाम दिया।
हिंद/ हिंदुस्तान
यह नाम हमें विदेशियों मुख्यतया फारसियों के द्वारा दिया गया। भारत की मुख्य पहचान सिंधु नदी थी तथा उसके उस पार की धरती को सिंध कहा जाता था। फारसी लोग जब भारत में आये तब उन्होंने सिंध की बजाये हिंद नाम दिया तथा यहाँ रहने वाले लोगों को हिंदू कहा जाने लगा। साथ ही इस भूमि का हिंदुस्तान नाम अफगान मुग़ल शासकों के समय ज्यादा प्रचलन में आ गया।
इंडिया
यह नाम हमें अंग्रेजों के द्वारा मिला जिनका इस भूमि पर लगभग दो सौ वर्षों तक राज रहा। वे भारत को इंडस वैली के नाम से पहचानते थे तथा यहाँ रहने वाले लोगों को इंडियन कहते थे। इसलिये उन्होंने इस देश का नाम इंडिया रख दिया।
जब भारत देश को सभी प्रकार की अधीनता से स्वतंत्रता मिली तथा यहाँ लोकतंत्र आया तब जवाहर लाल नेहरु के नेतृत्व में भारत सरकार ने हमारे सविंधान के भाग एक में देश के नाम की व्याख्या की जिसमे हिंदी में देश का नाम भारत तथा अंग्रेजी में रिपब्लिक ऑफ इंडिया दिया गया । यह इतिहास की एक बहुत बड़ी भूल थी कि स्वतंत्रता के बाद देश का अंग्रेजी भाषा में भारत नाम न चुनकर ऐसा नाम चुना गया जो हमारी अधीनता की पहचान था।
Anupama Dubey