आम को अप्राकृतिक रूप जा रहा पकाया,
आम की मिठास में घोला जा रहा खतरनाक जहर,
आम को पकाने के लिए रासायनिक पदार्थों का उपयोग,
लखनऊ। बाजार में बिकने वाला पीला आम भले ही लोगों के मन को पसंद आ रहा है।मगर ये सेहत के लिए बहुत ही हानिकारक है।आम को पकाने के लिए विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है।लेकिन इससे फलों को पकाना प्रतिबंधित है।लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से पीले आम का काला कारोबार राजधानी सहित पूरे प्रदेश में तेजी से फल फूल रहा है।

मीठे,रसीले आमों का कोई जवाब नहीं और इन फलों को देखकर मन भी खिल जाता है।लेकिन पीले आम का काला-काला सच कि कैसे कैल्सियम कार्बाइड से पकाए जा रहे हैं। हमारे क्षेत्रीय रिर्पोटर केशरी राव धारा सिंह यादव ने बताया कि फल और बनावटी हो रहा है।इनका स्वाद फलों के राजा आम की मिठास आ रही है या नही।बाजार में फलों की दुकानों और ठेलों में आम ही आम दिखाई दे रहे हैं।यह आम देखने में भले ही सुंदर हों,लेकिन बहुत ही हानिकारक साबित हो सकते हैं।अधिक लाभ के चक्कर में फलों में मिलावट शुरू हो चुकी है।फलों को अप्राकृतिक रूप से पकाया जा रहा है।
*ज्यादा तर आम को अप्राकृतिक रूप से पकाया जाता है*
आजकल बाजार में मिलने वाले आम में 90 प्रतिशत से अधिक आमों को अप्राकृतिक रूप से कार्बाइट और केमिकल से पकाया जा रहा है।प्राकृतिक रूप से पके हुए आमों की कीमत अधिक होती है।व्यापारियों को भी बाहर से खरीदने पर महंगा ही पड़ता है।इसके चलते ही थोक व्यापारी कच्चे आम खरीदकर उसे पकाते हैं और मुनाफा कमा रहे हैं।यह मुनाफा लोगों के स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है।
*एथलिक गैस से पकाया जा रहा आम*
आम को जल्द से जल्द पकाने के लिए एथलिक गैस का उपयोग भी किया जा रहा है।एथलिक गैस लिक्विड के रूप में मिलता है।कुछ मिलीलीटर एथलिक गैस लिक्विड एक टंकी पानी में मिलाया जाता है।इसके बाद इस टंकी आम को एक बार डुबाकर निकाल दिया जाता है और हवा में सूखने छोड़ दिया जाता है।धीरे-धीरे फल पूरी तरह पक जाते हैं।

*ऐसे पकाते है कार्बाइड से आम*
गैस वेल्डिंग में काम आने वाली कार्बाइट का उपयोग आम पकाने में धड़ल्ले से किया जा रहा है।कार्बाइट को आम के बीच कागज से लपेटकर रखा जाता है,जिससे कार्बाइट से गैस निकलना शुरू होता है और उस गैस के संपर्क में आने से आम पकने लगते हैं,16 से 24 घंटे के भीतर ही आम पककर तैयार हो जाते हैं।कार्बाइट के संपर्क में आम का जितना हिस्सा आता है,उतना ही पकता है बाकी हिस्सा पकने से छूट जाता है।इसके चलते ही आम दो से तीन रंगों में दिखाई देता है और यही खेल सेहत के लिए अति खतरनाक है।
*एथिलीन रायपनर पाउच चीन से आते हैं*
इससे फल पकाने के लिए एथिलीन चेंबर यानि बंद कमरे में एथिलीन के इस्तेमाल से फल पकाए जा सकते हैं,लेकिन यहां एथिलीन रायपनर के पाउच फल की पेटी में डाले जा रहे हैं।ये सोचे बिना कि इनके ज्यादा इस्तेमाल से लोगों की सेहत पर बहुत बुरा असर होता है।
*ऐसे करे आम की पहचान*
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रह्मानखेड़ा के विशेषज्ञयों का कहना है की प्राकृतिक पका आम अपनी खुशबू लिए होता है।लेकिन अकृत्तिम पकाए गए आम में तो खुशबू होती ही नहीं है।या बहुत कम होती है आम की सुगंध से इसे पहचाना जाता है।अकृत्तिम तरीके से पकाए गए आम का छिलका तो पूरी तरह पीला होता है।लेकिन अंदर से वह पूरी तरह से पका नहीं होता है।इस तरह से पके आम में सूखापन होगा और जूस भी कम होगा,अगर पीले आम कहीं-कहीं हरे धब्बा नजर आए तो समझ जाइए आम में घपला है।
क्षेत्र में कच्चे आम को 3-4 दिन में पकाने वाले बैन केमिकल बाजार में खुलेआम बेचे जा रहे हैं।जबकि यह शरीर के बेहद खतरनाक है।केमिकल बेचने वाले से लेकर फल विक्रेता कैसे फल को जल्दी पकाया जाता है,बकायदा इसकी ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।यह सब खुलेआम चल रहा है,लेकिन न तो प्रशासन की तरफ से न ही खाद्य विभाग इसे लेकर कोई जांच या कार्रवाई की जा रही है।
sudha jaiswal