Mankameshwar Temple: मनकामेश्वर मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज की धार्मिकता, सांस्कृतिकता और पौराणिक महत्व के कारण लोगों के बीच विशेष मान्यता रखता है।
मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Temple) का नाम मन की कामना को पूरा करने वाले भगवान शिव के नाम पर है। इस मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और पुराणों में उल्लेखित है। प्राचीन समय में, मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज को आराधना और पूजा का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता था। कई पुराणों में इसका वर्णन है और यह माना जाता है कि धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के कारण भगवान शिव ने यहां आध्यात्मिकता के लिए अपनी विशेष कृपा प्रदान की थीं। यहां पर भगवान शिव ने मार्कण्डेय रूप में अपनी अनंत शक्ति का प्रदर्शन किया था और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी की थीं।
मंदिर (Mankameshwar Temple) का निर्माण कार्य के दौरान कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। प्राचीन काल में इस मंदिर का निर्माण पत्थरों से किया गया था, जिसमें स्थानीय कारीगरों की कला और कुशान शैली का प्रभाव दिखता है। इसके बाद, बहुत सालों तक मंदिर की संरचना और विस्तार कार्यों में विभिन्न अवधारणाओं और शैलियों का उपयोग किया गया। नवाबों के शासनकाल में मंदिर को आधुनिक ढंग से संशोधित किया गया और उसकी स्थापत्य कला में मुख्य रूप से नगर शैली का प्रभाव दिखाई देता है।

Mankameshwar Temple: 19वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण
मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Temple) का निर्माण मुख्य रूप से 19वीं शताब्दी में हुआ था, जब उत्तर प्रदेश के नवाब राजाओं ने इसे पुनः संरचनात्मक दृष्टि से बनवाया। मंदिर का आदिकालीन स्थापत्यकला में प्रमुखतः नागर शैली का प्रभाव दिखता है, जो प्रयागराज की स्थानीय संस्कृति और विरासत का प्रतीक है। मंदिर की मूर्तियां और मण्डपों में शिल्पकला का सुंदर संगम देखने को मिलता है।
मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Temple) प्रतिवर्ष आयोजित माघ मेला के दौरान भक्तों की भीड़ से गूंजता है। यह मेला महाशिवरात्रि के आसपास आयोजित होता है और लाखों श्रद्धालु यहां भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने आते हैं। इसके अलावा, अन्य पर्व और उत्सवों में भी मनकामेश्वर मंदिर प्रमुख स्थान है जहां लोग आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और धर्मिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं।
वर्तमान में, मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Temple) प्रयागराज को माघ मेला के दौरान लाखों श्रद्धालु और पर्यटकों की भीड़ आकर्षित करती है। यह मेला महाशिवरात्रि के आसपास आयोजित होता है और महिलाओं, पुरुषों, तपस्वियों और साधु-संतों के बीच विशेष प्रसिद्धि हासिल करता है। मेले के दौरान, भक्त यहां आकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, स्नान करते हैं, और धार्मिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं।
Highlights
मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Temple) प्रयागराज अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण लोगों के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह मंदिर हिन्दू धर्म, शिव भक्ति, और आध्यात्मिकता की अद्वितीय विरासत को प्रतिष्ठित करता है। इसका दर्शन करने वाले लोग शांति, समृद्धि, और धार्मिक सुख का अनुभव करते हैं और इस मंदिर की महिमा और पवित्रता में आनंद लेते हैं।

महाभारत से जुड़ा है इसका इतिहास
मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Temple) के संबंध में एक प्रसिद्ध कथा है। यह कथा महाभारत काल की है, जब युधिष्ठिर ने पांचों पांडव भ्राता अपनी माता कुंती के साथ अपनी वनवास के दौरान प्रयाग में विराजमान थे। उन्होंने अपने वनवास के दौरान मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी।
कथा के अनुसार, युधिष्ठिर ने भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की थी और उन्होंने उन्हें वरदान मांगने का मौका दिया था। उस समय भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें चाहे वरदान मांगने का मौका दिया। युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि वह अपनी माता कुंती को जिस भाग्यशाली पुरुष से पति चुनने का वरदान चाहती है, उसे बताएं। तब भगवान शिव ने उन्हें कहा कि माता कुंती के पति का चयन वह खुद करें।
माता कुंती ने भगवान शिव के कहने पर उनसे कहा कि उन्हें चाहिए कि वे उनके पति के रूप में आएं और उनके सामरिक आकार में अपनी पूजा करें। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें वरदान दिया कि वे उनकी पूजा करेंगे और उनके सामरिक आकार का दर्शन करेंगे। जिसके बाद भगवान शिव यहां विराजमान हो गए।

भगवान राम ने किया था जलाभिषेक
त्रेता युग में भगवान श्रीराम को जब वनवास हुआ तो वह लक्ष्मण और सीता के साथ वनवास को निकले। रास्ते में प्रयागराज में अक्षयवट के नीचे उन्होंने विश्राम भी किया था। इससे पहले उन्होंने अपने आराध्य महादेव के इस मंदिर में साधना और जलाभिषेक भी किया था।
उन्होंने भगवान शिव से मार्ग में आने वाले बाधाओं से मुक्ति पाने की कामना भी की थी। यही कारण है कि आज भी यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में भगवान शिव का दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। महाशिवरात्रि के दिन व सावन मास में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
भगवान शिव की कचहरी में श्रद्धालु लगाते हैं अर्जी
प्रयागराज के शिवकुटी मोहल्ले में स्थित इस मंदिर में शिव कचहरी स्थित है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी अर्जी लगाने पहुंच गए। यहां 288 शिवलिंग बने हैं जिसका श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। माना जाता है कि महादेव की इस कचहरी में भगवान विष्णु जज की भूमिका में होते हैं और लोग यहां आकर न्याय और दयादृष्टि की गुहार लगाते हैं।