International Conference: जौनपुर स्थित वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में सामासिक संस्कृति के संवाहक: भाषा, साहित्य और मीडिया विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुक्रवार को उद्घाटन सत्र शुरू हुआ। यह सत्र ऑनलाइन व ऑफलाईन दोनों मोड में चला। इस सम्मेलन में विश्व के कई देशों के शिक्षकों और साहित्यकारों ने भाग लिया।
इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (International Conference) में तीन पुस्तकों का विमोचन किया गया। इन पुस्तकों में गीता सिंह की भाषा और लिपि पर पुस्तक, शशिकला की साहित्य शास्त्र पर पुस्तक और डॉ. प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की राष्ट्रीय काव्यधारा का विमोचन किया गया।
हिंदी ने वैश्विक स्तर पर लहराया संस्कृति का परचमः डॉ. प्रकाश चन्द्र वरतुनिया
इस अवसर (International Conference) पर मुख्य अतिथि केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलाधिपति डॉ. प्रकाश चन्द्र वरतुनिया ने कहा कि हिंदी भाषा ही हमारी संस्कृति की संवाहक है। यह भाषा विश्व के कई देशों में हमारी संस्कृति को पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया ने धारावाहिक और फिल्म के माध्यम से विदेशों में देश की संस्कृति का परचम लहराया।
संस्कृत से समृद्ध हो रही है चीनी संस्कृतिः प्रो. विवेक मणि त्रिपाठी
चीन के प्रो. विवेक मणि त्रिपाठी ने कहा कि साहित्य और संस्कृति का संबंध अलग नहीं हो सकता। साहित्य के माध्यम से संस्कृति को समझा जा सकता है। चीनी भाषा में 20 हजार से ज्यादा शब्द संस्कृत से हैं। चीनी संस्कृति संस्कृत भाषा से समृद्ध हो रही है।
पूर्व कुलपति प्रो. पी. सी. पातंजलि ने कहा कि हिंदी साहित्य में पूर्वांचल के साहित्यकारों का दबदबा है। साहित्य जगत को समृद्ध और विकसित करने में इनके योगदान का नकारा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता अगर प्रासंगिक नहीं रही तो वह चुनौतियों से नहीं लड़ सकती।

अटल बिहारी सम्मान से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार प्रो. आनंद कुमार सिंह ने कहा कि सामासिक संस्कृति बहुत सारी संभावनाओं को समेटे हुए है। जीवन का कोई भी ऐसा पक्ष नही हो सकता जो संस्कृति से अलग हो। संस्कृति के निर्माण की प्रक्रिया मानव की विकास यात्रा से जुड़ी है। संस्कृतियो में जो विश्वास है, उसका अनुकूलन और मतांतरण निरंतर चलता आया है।
अंतर्राष्ट्रीय महाकुंभ के मंथन से निकलेगा ज्ञान का अमृतः प्रो. निर्मला एस. मौर्य
अध्यक्षता (International Conference) करतीं हुई विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय विद्वानों के इस महाकुंभ के मंथन से जो ज्ञान का अमृत निकलेगा वह इस विश्वविद्यालय के साथ-साथ विश्व से आने वाले प्रतिभागियों के लिए भी लाभप्रद रहेगा। ऐसे मंच संस्कृति के आदान-प्रदान के साथ विचारों और ज्ञान का भी संवर्धन करते है। मीडिया की भूमिका पहरेदार की तरह है जो कि घटनाओं का संवाहक बनकर हम लोगों तक सूचनाओं का संप्रेषण करती है।

International Conference: भाषा जोड़ने और तोड़ने दोनों काम करती है
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं आलोचक प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि भाषा जोड़ने और तोड़ने दोनों का काम करती है। सामासिक संस्कृति के सामने भाषा चुनौती है। साहित्य सामासिक की संवाहक तो है लेकिन मीडिया आक्रामकता और व्यवसायिकता के दौर से गुजर रही है।
प्रख्यात साहित्यकार और सहायक निदेशक आकाशवाणी प्रसार भारती डॉ. नीरजा माधव ने कहा कि सामासिक संस्कृति भारत में ही देखने को मिलती है। विश्व के अन्य किसी देश में ऐसी संस्कृति देखने को नहीं मिलती है। भारतीय संस्कृति समन्वित और साझेदारी की संस्कृति है। इस संस्कृति को समझने का आधार भाषा है। हमारी संस्कृति जीवन जीने की कला बनाती है।

पीएनबी के मंडल प्रमुख राजेश कुमार ने कहा कि शिक्षण संस्थाएं समाज को जोड़ने का काम करती है। इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार (International Conference) से जिले के लोगों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। हमारा बैंक इस तरह के कार्यक्रम में हमेशा सहायक बनेगा। सेमिनार का आयोजन सचिव डॉ. मनोज मिश्र ने विषय प्रवर्तन किया। स्वागत भाषण प्रो. मानस पांडेय, संचालन डॉ. प्रमोद कुमार श्रीवास्तव व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अविनाश पाथर्डीकर ने किया।
Highlights
सेमिनार (International Conference) में प्रमुख रूप से वित्त अधिकारी संजय राय, परीक्षा नियंत्रक वीएन सिंह, पीएनबी के मैनेजर रामबहादुर, एचडीएफसी के वाइस प्रेसीडेंट मनोज राय, मनीष तिवारी, प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. वंदना राय, प्रो. अजय द्विवेदी, प्रो. अशोक कुमार श्रीवास्तव, प्रो. देवराज सिंह, डॉ प्रमोद कुमार यादव, डॉ नीतेश जायसवाल, डॉ धीरेंद्र चौधरी, डॉ रसिकेश, डॉ. विनय वर्मा, डॉ. अनु त्यागी, डॉ. लक्ष्मी प्रसाद मौर्य, नंदकिशोर सिंह, रमेश यादव, डॉ. पीके कौशिक आदि ने प्रतिभाग किया।