Highlights
Kashi Nagkuan : इन दिनों भगवान शिव का प्रिय मास सावन चल रहा है। बाबा भोले के इस प्रिय महीने में उनके भक्त उन्हें मनाने में लगे हैं। इस महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल शिव के प्रिय सांपों के पूजन का त्योहार नाग पंचमी मनाया जाता है। लेकिन इस साल नाग पंचमी का संयोग बेहद खास है क्योंकि एक ओर जहाँ आज नाग पंचमी है वहीं दुसरी ओर आज सावन का सोमवार भी है तो ऐसे में यह दिन बेहद खास और दिव्य हो जाता है।

नागपंचमी के इस अवसर पर आज हम आपको काशी के नागकुआँ (Kashi Nagkuan) से जुड़े सभी रहस्य और वाराणसी के जैतपुर में स्थित नाग कुएं में विराजमान है नागेश्वर महादेव के सभी बातों को बतायेंगे…
पाताललोक के नागकूप का होता है दर्शन
भगवान शिव की नगरी काशी में एक कुआं स्थित है जो कि नागकुआँ (Kashi Nagkuan) के नाम से प्रचलित है। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में स्थित इस रहस्यमयी कुँए (Kashi Nagkuan) के बारे में लोगों की मान्यता है कि इसकी गहराई कितनी है आज तक किसी को नही पता। ऐसा कहा जाता है कि यह कुआँ सीधा पाताल और नागलोक तक जाती है व इस कुएं का वर्णन शास्त्रों में किया गया है। इसे ‘करकोटक नाग तीर्थ’ के नाम से जाना जाता है। इस नाग कुंड को नाग लोक का दरवाजा बताया जाता है।

इस विधि से होती है नागेश्वर महादेव की पूजा
मान्यता यह है कि यह कुंआ पाताल लोक से जुड़ा है। इस कुए को नागों का घर भी कहा जाता है। श्रद्धालुओं की मानें तो तक्षक नाग इसी कुएं में निवास करते हैं और जो भी व्यक्ति यहाँ दर्शन करता है उसके दर्शन मात्र से ही काल सर्प दोष समाप्त हो जाता है। वहीं कहा ऐसा भी जाता है कि यहाँ दर्शन करने से अकाल मृत्यु का कारण भी खत्म हो जाता है।

श्रद्धालु यहां आकर नागेश्वर महादेव (Kashi Nagkuan) को दूध, लावा और तुलसी की माला से पूजा करते हैं, क्योंकि शेषनाग को तुलसी बहुत प्रिय है। खासकर नाग पंचमी के दिन पास पड़ोस ही नहीं देशभर से श्रद्धालु आते हैं। कूप में विराजमान नागेश्वर महादेव के दर्शन करते है। कहते है जिस किसी भी व्यक्ति को स्वप्न में बार-बार सर्प या नाग देवता के दर्शन होते हैं, इस कुंड का जल घर में छिड़काव करने से इन दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
ये भी पढ़ें : अर्धनारीश्वर स्वरुप में बाबा विश्वनाथ देंगे अपने भक्तों को दर्शन, आज सावन का 7वां सोमवार, शिवभक्तों का आंकड़ा
वर्षों से चली आ रही परंपरा का आज भी होता है निर्वहन
काशी में स्थित इस रहस्यमयी कूप (Kashi Nagkuan) के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि इसका रास्ता पाताल की ओर जाता है। वहीं इस नागकूप के अंदर सात कुँए है। जिसकी गहराई 100 फीट है। इस कुँए में दर्शन सिर्फ नागपंचमी के मौके पर ही होता हैं। शास्त्रार्थ परंपरा युगों पुरानी वैदिक कालीन परंपरा से जुड़ी है। महर्षि पतंजलि की जैतपुरा में नागकूप में स्थापना मानी जाती है। पतंजलि की परंपरा शास्त्रार्थ की रही है। इस लिहाज से नागकूप में परंपरा का मान रखते हुए प्रतिवर्ष परंपराओं का अनुपालन किया जाता है।

कहाँ से आता है नागकुआँ का पानी
माना जाता है कि पूरी दुनिया में केवल 3 ही जगह कालसर्प दोष की पूजा होती है, उनमें यह नाग कुआं पहले स्थान पर है। कुआं के अंदर शिवलिंग हमेशा पानी में डूबा रहता है। नागपंचमी के दिन होने वाले मेले से पहले पंप द्वारा कुएं (Kashi Nagkuan) का सारा पानी बाहर निकाला जाता है। उसके बाद कुँए में स्थापित शिवलिंग का विधि-विधान से पूजा करके उसे वापस रख दिया जाता है। लेकिन रहस्य की बात यह है कि इस पुरी प्रक्रिया के बाद करीब एक घंटे के अंदर अपने आप कुँए में पानी वापस भर जाता है। यह पानी कहाँ से आता है इसके बारे में कोई नहीं जानता क्योंकि पानी आने का रहस्य आज भी है।

Kashi Nagkuan : कुछ ऐसा है कुँए का नक्शा
इस कूप (Kashi Nagkuan) में पानी कहां से आता है यह रहस्य आज भी बरकरार है। अंदर कूप की दीवारों से पानी आता रहता है। सफाई के लिए दो-दो पम्पों का सहारा लेना पड़ता है। इसके चारों तरफ सीढ़िया हैं।

नीचे कूप के चबूतरे तक पहुंचने के लिए दक्षिण से 40 सीढ़ियां, पश्चिम से 37, उत्तर और पूरब की ओर दीवार पर 60 सीढ़ियां हैं। शिवलिंग तक उतरने लिए इस नाग कूप में कुल 15 सीढ़ियां हैं। इसकी दक्षिण दिशा ऊंची जिसमें भी वस्तुविधि से बनायी गयी कुल 40 सीढ़ियां हैं।