वैज्ञानिकों ने फसल को रोगों से बचने की दी सलाह, जिले में करीब पांच दर्जन गांवों में होती मिर्च की खेती
लखनऊ।मिर्च एक नकदी फसल है। इसकी व्यावसायिक खेती करके ज्यादा लाभ कमाया जा सकता है। मिर्च खाने में इस्तेमाल होती है।मिर्च में विटामिन ए और सी पाए जाते हैं और कुछ लवण भी होते हैं।मिर्च का इस्तेमाल अचार,मसालों और सब्जी में भी किया जाता है। मिर्च पर पाले का असर ज्यादा होता है। इसलिए जहां पाला ज्यादा पड़ता है।उन इलाकों में इस की अगेती फसल लेनी चाहिए। ज्यादा गरमी होने पर फूलों व फलों का झड़ना शुरू हो जाता है। मिर्च की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के आस पास होना अच्छा माना जाता है।

अच्छी फसल के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी जिस में पानी का अच्छा निकास हो,अच्छी मानी जाती है।मिर्च की खेती अपना कर किसान अपनी आर्थिक स्थिति को संवारने में सफल हो रहे हैं।राजधानी के बुलाकिहार ,इब्राहिमपुर, जगदीशपुर, मंगलपुर, जमलापुर, खालिसपुर, शाहपुर, टिकरिया, पहिया, सरायं प्रेमराज,मौरा,सैथा,बसरेला,सरायं अलीपुर,दुगौली,घनश्यामपुर,गांगन,पीरनगर,जलालाबाद,हटौली,जेहता,बेहटा सहित आदि गांवों के किसान मिर्च की खेती अपना कर अच्छा लाभ उठा रहे हैं। विशेषज्ञों ने मिर्च की खेती करने के लिए किसानों को निम्न सुझाव बतलाए हैं।
नर्सरी तैयार करने की विधि

विशेषज्ञों के अनुसार सबसे पहले नर्सरी में बीजों की बोआई कर के पौध तैयार की जाती है।खरीफ की फसल के लिए मई से जून में व गरमी की फसल के लिए फरवरी से मार्च में नर्सरी में बीजों की बोआई करें।एक हेक्टेयर में पौध तैयार करने के लिए एक से डेढ़ किलोग्राम बीज और संकर बीज 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर काफी रहता है।नर्सरी वाली जगह की गहरी जुताई कर के खरपतवार रहित बना कर एक मीटर चौड़ी,3 मीटर लंबी और 10 से 15 सेंटीमीटर जमीन से उठी हुई क्यारियां तैयार कर लें।
बीजों को बोआई से पहले केप्टान या बाविस्टिन की 2 ग्राम मात्रा से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।पौधशाला में कीड़ों की रोकथाम के लिए 3 ग्राम फोरेट 10 फीसदी कण या 8 ग्राम कार्बोफ्यूरान 3 फीसदी कण प्रति वर्गमीटर के हिसाब से जमीन मिलाएं या मिथाइल डिमेटोन 0.025 फीसदी या एसीफेट 0.02 फीसदी का पौधों पर छिड़काव करें।बीजों की बोआई कतारों में करनी चाहिए।नर्सरी में विषाणु रोगों से बचाव के लिए मिर्च की पौध को सफेद नाइलोन नेट से ढक कर रखना चाहिए।
आवश्यकता अनुसार खाद एवं उर्वरक
खेत की अंतिम जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर करीब 150 से 250 क्विंटल अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में डाल कर अच्छी तरह मिला देना चाहिए।इस के अलावा मिर्च का अच्छा उत्पादन लेने के लिए 70 किलोग्राम नाइट्रोजन, 48 किलोग्राम फास्फोरस व 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है।नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपाई से पहले जमीन की तैयारी के समय व बची मात्रा आधी आधी कर के 30 व 45 दिनों बाद खेत में छिड़क कर तुरंत सिंचाई कर करनी होती है।
फसल में रोग एवं उससे बचाव
सफेद लट:इस कीट की लटें पौधों की जड़ों को खा कर नुकसान पहुंचाती हैं।इस पर काबू पाने के लिए फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान 3 जी 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई से पहले जमीन में मिला देना चाहिए।
सफेद मक्खी व पर्णजीवी
यह कीट पौधों की पत्तियों व कोमल शाखाओं का रस चूस कर उन्हें कमजोर कर देते हैं।इन के असर से उत्पादन घट जाता है।इस पर काबू पाने के लिए मैलाथियान 50 ईसी या मिथाइल डिमेटोन 25 ईसी एक मिलीलीटर या इमिडाक्लोरोपिड 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़ाकव करना चाहिए।15-20 दिनों बाद दोबारा छिड़ाकव करें।

मूल ग्रंथि सूत्रकृमि इस के असर से पौधों की जड़ों में गांठें बन जाती हैं और पौधे पीले पड़ जाते हैं।पौधों की बढ़वार रुक जाती है।जिससे फसल में पैदावार में कमी आ जाती है।इस की रोकथाम के लिए रोपाई के स्थान पर 25 किलोग्राम कार्बोफ्यूरान 3 जी प्रति हेक्टेयर की दर से जमीन में मिला दें।
आर्द्र गलन इस रोग का असर पौधे जब छोटे होते हैं,तब होता है। इसके असर से जमीन की सतह पर स्थित तने का भाग काला पड़ कर कमजोर हो जाता है।छोटे पौधे गिर कर नष्ट हो जाते हैं।रोकथाम के लिए बीजों को बोआई से पहले थाइरम या केप्टान 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। नर्सरी में बोआई से पहले थाइरम या केप्टान 4 से 5 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से जमीन में मिलाएं।नर्सरी आसपास की जमीन से 4 से 6 इंच उठी हुई जमीन में बना कर तैयार करें।
केशरी राव धारा सिंह यादव की रिपोर्ट
मिर्च से किसानों ने बदला भाग्य
मिर्ची की उन्नत खेती करके किसान नरेंद्र कुमार,विजय मौर्य,राजरानी,सन्तोष,जगलाल,प्रभू,बबलू,शिव कुमार,जगन,महेश सहित अन्य किसानों ने अपनी मालीय हालत सुधार ली है।यह सभी लघु किसान हैं।इन सबके पास मात्र एक से तीन बीघे तक जमीन होने के कारण ज्यादा आमदनी नहीं हो पाती थी।लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह लोग मिर्च की उन्नत खेती करके काफी फायदा कमा रहे हैं।
लगभग आज यह सभी संपन्न किसान बन चुके हैं।इन किसानों के यहां परिवार के सभी सदस्यों को आज रोजगार भी मिल रहा है।साथ में अच्छी आमदनी भी हो रही है।और घरों के सभी लोग काफी खुशहाल जिंदगी गुजार रहे हैं। इन किसानों को मिर्च उत्पादन की सभी बातों की अच्छी जानकारी होने की वजह से आस पास के गांवों के किसान भी उन से सलाह ले रहे हैं। और मिर्च की खेती की तरफ उनका भी रुझान अब बढ़ रहा है।