Sanskriti Sansad: श्रीराम मंदिर आंदोलन में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति व मोक्ष की कामना से देश भर के पांच सौ संतों ने काशी विश्वनाथ धाम में रुद्राभिषेक किया। इसके साथ ही श्री काशी विश्वनाथ धाम में संस्कृति संसद का श्री गणेश हो गया। देश भर से आए पांच सौ संतों ने इसमें भागीदारी की।
गुरुवार को सभी संत सुबह रविदास घाट से बजड़े पर सवार होकर सभी संत-महात्मा गंगा द्वार पहुंचे। जहां पर सभी संतों ने गंगा पूजन किया। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से संतों का स्वागत किया गया। रूद्राभिषेक में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैवल्य पीठाधीश्वर अविचल देवाचार्य, महाराष्ट्र के महामंडलेश्वर जनार्दन हरि, मध्यप्रदेश के महामंडलेश्वर मनमोहन दास राधे बाबा, स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती, श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी आदि मौजूद रहे।
Sanskriti Sansad में 1200 संत होंगे शामिल
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि तीन संकल्पों में प्रथम संकल्प श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बलिदानियों की मुक्ति, दूसरा संकल्प राष्ट्र की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रहे और तीसरा संकल्प सनातन सापेक्ष सरकार बने हैं। कार्यक्रम अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में गंगा महासभा की ओर से आयोजित है। संस्कृति संसद [Sanskriti Sansad] का आयोजन सनातन उन्मूलन को चुनौती देने वालों को करारा जवाब देने के लिए किया जा रहा है। संस्कृति संसद में तीन नवंबर को धर्म विमर्श, चार नवंबर को मातृ विमर्श और पांच नवंबर को युवा विमर्श का आयोजन होगा। संस्कृति संसद में देश के चार सौ जिलों से 27 संप्रदायों के 1200 संत सम्मिलित होंगे।