Urea Consumption : सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। साथ ही प्रयास है कि किसान कम से कम उर्वरकों का उपयोग करें। शासन-प्रशासन के प्रयास से इसमें सफलता भी मिलती दिख रही है। इसका प्रमाण है बीते एक साल में यूरिया के इस्तेमाल [Urea Consumption] में आई कमी। बीते वर्ष तय लक्ष्य के मुकाबले धान का कटोरा कहे जाने वाले जनपद चंदौली ने 12 प्रतिशत तो लखनऊ और वाराणसी में करीब आठ प्रतिशत यूरिया की खपत घटी है।
Urea Consumption : प्रथम पर चंदौली और दुसरे पर….
इस प्रकार प्रदेश में चंदौली पहले, लखनऊ दूसरे और वाराणसी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। धान-गेहूं ही नहीं किसान फलों और सब्जियों की खेती में भी उत्पादन बढ़ाने के लिए यूरिया का बेतहाशा प्रयोग [Urea Consumption] करने लगे हैं। इससे फसल की गुणवत्ता तो खराब हो ही रही है, मिट्टी की उत्पादकता भी प्रभावित हो रही है।
इतना ही नहीं, किसान की लागत भी बढ़ जाती है। सरकार और प्रशासन ने उर्वरकों [Urea Consumption] का प्रयोग कम करने के लिए प्रयास शुरू किया। इसका परिणाम रहा कि यूरिया की खपत का लक्ष्य (2023 में अप्रैल से दिसंबर तक) वाराणसी में 33,652 टन था, लेकिन इस्तेमाल सि
र्फ 30,933 टन हुआ। यह लक्ष्य की अपेक्षा 2,719 टन कम है। इससे सरकार की सब्सिडी व किसानों की लगभग 24 करोड़ रुपये की बचत हुई है। यह तब है जब वाराणसी जनपद में खेती का रकबा बढ़ा है। इसी दौरान चंदौली ने 4,388 टन यूरिया बचाकर पहला स्थान हासिल किया।