Holika Special: भारत में होलिका दहन का धर्म और रीती-रिवाज को लेकर हिन्दू धर्म में अनूठी श्रद्धा है। रंगों का उत्सव होली के पर्व के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। वहीं सांस्कृतिक नगरी वाराणसी में होलिका दहन के लिए होलिकाओं [Holika Special] में इस बार काफी विविधताएं नजर आ रही हैं। कहीं गोबर के उपलों तो कहीं सूखी लकड़ी की होलिका सजाई गई हैं। इसी कड़ी में भोजूबीर स्थित यूपी कालेज जाने वाले तिराहे पर स्थापित होलिका लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्थानीय युवाओं एवं स्थानीय व्यापारियों के द्वारा सहयोग से होलिका लगाने का कार्य इसी तरह कई वर्षो से चला आ रहा है।

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विगत कई वर्षों की भांति इस वर्ष भी सबसे पहले नारियल फिर उसके ऊपर गोबर के उपले रखकर उसपर होलिका माता [Holika Special] की मूर्ति स्थापित की गई है। होलिका माता की गोद में भक्त प्रहलाद को रखा गया है। वहीं सभी उपलों पर सिंदूर चढ़ाया गया। इसी के साथ ही चारों ओर से कलावे के माध्यम से उसे बांधा गया है। इसके ऊपर चारों-तरफ ॐ का ध्वज लगाया गया है।

Holika Special: अनोखे सोच के साथ होगा होलिका दहन
उपले एवं फूलों माला से सजावट कर अनोखी होलिका [Holika Special] स्थापित की गई है। पूरी तरह गोबर के गोहरी से होलिका लगाकर एक श्लोक लिखकर समाज को पेड़ न कटने के लिए प्रेरित किया है। “न पेड़ काटेंगे न कटने देगे… पेड़ है तो हम हैं पेड़ नही तो हम नही” के उद्देश्य के साथ यहाँ इकोफ्रेंडली रूप में माता की मूर्ति स्थापित की गई है।

राक्षसी स्वरुप में स्थापित की गई होलिका की मूर्ति
यहाँ स्थापित की गई होलिका माता की मूर्ति इसीलिए भी आकर्षण का केंद्र है क्योंकि इस बार यहाँ होलिका माता [Holika Special] को राक्षसी का रूप दिया गया है। वो भी एक अलग सोच के साथ। दरअसल, लोगों का मानना है कि हर साल एक देवी को या एक महिला को इस प्रकार जलाना ठीक नहीं, कोई भी मां अपने बच्चें को गोद में लेकर जलने के लिए नही बैठ सकती।

इसीलिए ये भले ही हिंदू धर्म में देवी मानी जाति है लेकिन हमने इस बार ये राक्षसी स्वरुप इसीलिए दिया है ताकि स्त्रियों का अपमान ना हो। हमें अपने समाज में स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए।