India-Pak Partition: आज 14 अगस्त है। इतिहास का अध्ययन करने पर पता चलता है कि यह कोई आम तारीख नहीं है। भारत के एक कैलेंडर में यह तारीख हिंदुओं और सिखों के खून से लिखी गई है। यही वह दिन था जब देश का विभाजन हुआ और देश के दो टुकड़े कर भारत को एक अलग राष्ट्र घोषित कर दिया गया।
इस विभाजन में न केवल भारतीय उपमहाद्वीप के दो टुकड़े किए गए, बल्कि बंगाल का भी विभाजन किया गया बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया, 1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेश बना। आज उस बांग्लादेश की भी हालत चिंताजनक है। कहने को तो यह केवल देशों का बंटवारा था, लेकिन यह केवल देशों का नहीं, बल्कि दिलों का, परिवारों का, रिश्तों का और भावनाओं का बंटवारा था। यह ऐसा जख्म है जो भारत मां के सीने पर सदियों तक रिश्ता रहेगा और आने वाली पीढ़ियां इस रक्तरंजित इतिहास को याद कर आंसू बहाती रहेंगी।

इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि भारत के दो टुकड़े करने की साजिश अंग्रेजों ने रची थी, लेकिन इसके लिए कुछ भारतीय नेता भी जिम्मेदार थे। एक ओर 200 वर्षों के गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी, वहीं दूसरी ओर देश के दो टुकड़े भी हो रहे थे। लाखों लोग इधर से उधर हुए, घर बार परिवार सब छूट गए, लाखों की जानें गईं। कुछ भूख प्यास से मर गए या कुछ मार दिए गए। विभाजन का यह दर्द भारत के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं थी। 77 वर्ष पूरे होने पर इसका दर्द आज भी महसूस किया जा सकता है।
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ने पाकिस्तान को 1947 में एक मुस्लिम देश के रूप में मान्यता दी थी। लाखों लोग इधर से उधर हुए, साथ ही बड़े पैमाने पर दंगे भड़काने के चलते कई लाख लोगों की जान चली गई थी। गौरतलब है कि इससे पहले भी ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए लाखों भारतीय क्रांतिकारियों ने कुर्बानियां दी। 14 अगस्त 1947 की आधी रात भारत की आजादी के साथ ही पाकिस्तान अस्तित्व में आया। विभाजन से पहले तो पाकिस्तान का कहीं नामोनिशान नहीं था, अंग्रेज जाने वाले थे लेकिन जाते-जाते उनकी एक बड़ी साजिश का प्रतिफल पाकिस्तान के रूप में सामने आया। उन्होंने भारत को बांट कर एक अन्य देश खड़ा कर दिया।

विभाजन को याद करेंगे तो बहुत सी कहानियां मिलेंगी, जो कि रोंगटे खड़े कर देंगे कुछ इतिहासकारों की मानें तो यह आजादी हमें यूं ही अचानक से नहीं मिली, यह आजादी सशर्त मिली थी, जिसमें भारत का विभाजन और पाकिस्तान का उदय शामिल था। देश का बंटवारा तो हुआ, लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से नहीं। इस ऐतिहासिक तारीख में भारतीय हिन्दुओं का कत्लेआम, भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया। जिसे हमेशा उलटना पलटना पड़ता है।
India-Pak Partition: धर्म और मजहब के आधार पर खिंची गई थी बंटवारे की लकीर, लाखों हुए बेघर
दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खींचते ही रातों-रात अपने ही देश में लाखों लोग बेगाने और बेघर हो गए। धर्म मजहब के आधार पर ना चाहते हुए भी लाखों लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हुए। इस उथल-पुथल में कई मजहबी दंगे भड़के, कत्लेआम हुए, जो लोग बच गए उनमें लाखों की जिंदगी बर्बाद हो गई। भारत पाकिस्तान विभाजन की यह घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई। बंटवारे का दर्द गाहे-बगाहे हरा होता रहता है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस इस दर्द को याद करने का दिन है।