Ayodhya: राम की नगरी अयोध्या में दीपोत्सव की धूम है, लेकिन स्थानीय सांसद अवधेश प्रसाद की इस आयोजन से अनुपस्थिति संत समाज और आम जनता में गहरी नाराजगी का कारण बन रही है। संत समाज ने समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश पर दीपोत्सव से दूरी बनाए रखने और रामलला के मंदिर में अब तक दर्शन न करने को लेकर सवाल उठाए हैं। अयोध्या के कई संतों ने उन पर राम विरोधी होने का आरोप लगाया है और यहां तक कहा है कि ऐसे व्यक्तियों का दीपोत्सव में आना उचित नहीं है।
संत समाज के अनुसार, सांसद अवधेश ने महाराष्ट्र में एक दरगाह पर चादर चढ़ाई लेकिन अयोध्या के रामलला का दर्शन करने का समय नहीं निकाला। राम नाम के पट्टे से असहमति जताने पर भी उनकी आलोचना हो रही है। देवेशाचार्य महाराज ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि यह अयोध्या की जनता के विश्वास के साथ धोखा है, जिसने उन्हें सांसद चुना। उन्होंने कहा कि अवधेश का रामलला मंदिर न जाना और रामनाम के प्रतीकों से परहेज करना उनकी राम विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
योगी सरकार अयोध्या में दीपोत्सव के आयोजन को वैश्विक स्तर पर ले आई है, और इस आयोजन की तैयारियों में दिन-रात जुटी हुई है। लेकिन सांसद अवधेश की इस आयोजन में कोई भी सक्रिय भूमिका न देखकर संत समाज और अयोध्या के निवासियों में गहरा असंतोष है। महंत स्वामी करपात्री महाराज ने सांसद अवधेश के आचरण पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह खुद को ‘अयोध्या का राजा’ मानते हैं, लेकिन वास्तव में राम भक्तों से दूर रहते हैं। करपात्री महाराज ने चेतावनी दी कि जो नेता राम का विरोधी हो और जिनकी पार्टी के लोग अतीत में कारसेवकों पर गोलियां चलवा चुके हैं, उन्हें दीपोत्सव जैसे आयोजनों से दूर ही रहना चाहिए।
Ayodhya: योगी सरकार ने 8 साल में दीपोत्सव को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया
अयोध्या में कई संतों और नागरिकों का मानना है कि अवधेश की दीपोत्सव से दूरी और राम मंदिर के प्रति उदासीनता राम भक्ति के प्रति उनके असली दृष्टिकोण को दर्शाती है। उनका कहना है कि योगी सरकार के अथक प्रयासों से दीपोत्सव का आयोजन अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा पा रहा है, और ऐसे आयोजन से सांसद का दूर रहना न केवल अयोध्या के लोगों के लिए अपमानजनक है बल्कि रामलला के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर भी प्रश्न उठाता है।