Kaalbhairav Janmotsav: काशी के कोतवाल बाबा श्री कालभैरव का जन्मोत्सव (भैरव अष्टमी) शनिवार को अत्यंत हर्षोल्लास और भक्ति के साथ मनाया गया। इस विशेष अवसर पर बाबा को 1100 किलो का भव्य केक अर्पित किया गया, जिसे शुद्ध देशी घी, मिठाइयों, फलों और पंचमेवे से बनाया गया था। केक काटने के बाद इसे प्रसाद के रूप में भक्तों के बीच बांटा गया।
Kaalbhairav Janmotsav: इतिहास में सबसे बड़ा केक
यह 1100 किलो का केक भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा धार्मिक केक माना जा रहा है, जिसे बाबा कालभैरव मंदिर में चढ़ाया गया। इस परंपरा की शुरुआत 2006 में प्रिंस बेकर्स के अधिष्ठाता प्रिंस गुप्ता ने की थी, जब उन्होंने बाबा को 1 किलो का केक चढ़ाया था। 18 वर्षों में यह परंपरा इतनी बढ़ी कि इस बार 1100 किलो के विशाल केक के रूप में बाबा को श्रद्धांजलि दी गई।

भक्तों की उमड़ी भारी भीड़
इस आयोजन के दौरान मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। “हर-हर महादेव” और “जय कालभैरव” के उद्घोष से वातावरण भक्तिमय हो गया। भक्तों ने बाबा का आशीर्वाद लिया और केक, पॉपकॉर्न, टॉफी जैसे प्रसाद का आनंद लिया।
आयोजन समिति का योगदान
22 वर्षों से इस भव्य आयोजन का नेतृत्व प्रिंस गुप्ता और उनकी टीम कर रही है। आयोजन समिति के सदस्य, जिनमें पंकज चतुर्वेदी, संतोष दुबे, नवीनगिरी, सोनू यादव, और अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं, ने बताया कि बाबा के आशीर्वाद और भक्तों के सहयोग से यह आयोजन हर साल सफलतापूर्वक संपन्न होता है।
आरती और विशेष पूजा
दोपहर में बाबा की विशेष आरती हुई, जिसमें भक्तों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस दौरान भक्तों ने बाबा को फूल, माला, और अन्य सामग्रियों से सुसज्जित किया।
Highlights
भक्ति और परंपरा का संगम
बाबा कालभैरव का जन्मोत्सव काशीवासियों के लिए भक्ति और उत्सव का प्रतीक है। हर साल यह आयोजन काशी के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में नई ऊंचाइयों को छूता है।