Varanasi: शिव की नगरी काशी शुक्रवार को उत्साह और भव्यता से सराबोर नजर आई। काशीवासियों ने एक बार फिर साबित किया कि वे किसी भी आयोजन को महोत्सव का रूप देने में माहिर हैं। इस बार का लोक महोत्सव, काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की तीसरी वर्षगांठ, शोभायात्रा के रूप में मनाया गया।

शोभायात्रा में प्रयागराज के महाकुंभ को जीवंत करते हुए अमृत कलश और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बाबा विश्वनाथ का कुंभ से संबंध और कुंभ का महत्व दर्शाया गया। झांकियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

हजारों महिलाएं गुलाबी और पीले साफों में सजी-धजी शोभायात्रा की शोभा बढ़ा रही थीं। गुलाबी साफे ने इसे एक खास रंग दिया, जबकि पीले साफों ने वसंत ऋतु का एहसास करा दिया।
Varanasi: सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने लगाए चार चांद
शिव-पार्वती और राधा-कृष्ण की भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुतियों ने शोभायात्रा को और भी जीवंत बना दिया। मां काली के नृत्य ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। शोभायात्रा में महिलाएं गीतों और नृत्य के माध्यम से ऐसा माहौल बना रही थीं, जैसे किसी शादी समारोह का हिस्सा हों।

विषपान करते नीलकंठ महादेव और अमृत की खोज में कुंभ यात्रा की झलकियां शोभायात्रा का प्रमुख आकर्षण रहीं। काशी के प्रसिद्ध बैंड-बाजे शोभायात्रा में अपनी धुनों से जोश भर रहे थे। बैंडों के बीच प्रतिस्पर्धा ने माहौल को और खास बना दिया। शोभायात्रा को विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने इस आयोजन की भव्यता की सराहना की।

पुष्पवर्षा से स्वागत
शोभायात्रा के मार्ग पर लोगों ने फूलों की वर्षा कर प्रतिभागियों का भव्य स्वागत किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक दिलीप सिंह, आरके चौधरी, दीपक बजाज, वंदना रघुवंशी और अन्य प्रमुख आयोजकों ने विशेष भूमिका निभाई। काशी की यह शोभायात्रा न केवल एक उत्सव बल्कि काशीवासियों की सांस्कृतिक परंपराओं और उनकी उल्लासपूर्ण भागीदारी का प्रतीक बन गई।