प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को संसद में महाकुंभ के महत्व पर जोर देते हुए इसे राष्ट्रीय चेतना और एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने देश में आध्यात्मिक और राष्ट्रीय चेतना को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। इस आयोजन ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को और मजबूत किया और विभिन्न समुदायों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया।
महाकुंभ से निकला एकता और संकल्प का अमृत
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण ‘एकता का अमृत’ है। यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। देशभर से लाखों लोगों ने इसमें भाग लिया और आपसी भाईचारे और सामाजिक समरसता का संदेश दिया।
उन्होंने कहा, “महाकुंभ हमारी परंपरा, संस्कृति और इतिहास का प्रतीक है। इसमें न सिर्फ आध्यात्मिक चेतना बल्कि राष्ट्रीय चेतना का भी दर्शन हुआ।”

महाकुंभ पर सवाल उठाने वालों को मिला जवाब
प्रधानमंत्री ने उन लोगों पर भी प्रतिक्रिया दी जो महाकुंभ के आयोजन पर सवाल उठा रहे थे। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भारत की विरासत को संजोने और संकल्पों की सिद्धि के लिए एक प्रेरणादायक अवसर है। महाकुंभ में उमड़ी भारी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि देश अपनी परंपराओं को न सिर्फ सहेज रहा है बल्कि उन्हें गर्व के साथ मना भी रहा है।
युवा पीढ़ी और महाकुंभ का जुड़ाव
पीएम मोदी ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि आधुनिक युवा पीढ़ी भी महाकुंभ और अन्य पारंपरिक आयोजनों से गहराई से जुड़ रही है। उन्होंने कहा, “आज भारत का युवा अपनी परंपराओं, आस्था और श्रद्धा को गर्व के साथ अपना रहा है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत की ताकत को दर्शाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि जब समाज अपनी जड़ों से जुड़ता है और अपनी विरासत पर गर्व महसूस करता है, तो यह उसके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने की क्षमता को मजबूत करता है।
राहुल गांधी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वह पीएम मोदी की बातों से सहमत हैं कि महाकुंभ हमारी परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को महाकुंभ में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए थी और युवाओं की रोजगार संबंधी चिंताओं पर भी बात करनी चाहिए थी।
नदियों की रक्षा और महाकुंभ से प्रेरणा
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकुंभ से हमें यह सीखने को मिला कि हमें अपने जल संसाधनों की रक्षा करनी होगी। देश में कई छोटी-बड़ी नदियां हैं जो संकट में हैं। उन्होंने कहा, “महाकुंभ से हमें नदी उत्सव को विस्तार देने की प्रेरणा मिली है। इससे नई पीढ़ी को पानी के महत्व का एहसास होगा, सफाई को बढ़ावा मिलेगा और नदियों की रक्षा होगी।”
महाकुंभ में दिखी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुंभ में देश के हर कोने से लोग आए और उन्होंने एकजुट होकर आयोजन को भव्य बनाया। “जब विभिन्न क्षेत्रों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग संगम पर मिलते हैं और उद्घोष करते हैं, तो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना स्पष्ट रूप से दिखती है। वहां किसी तरह का भेदभाव नहीं था, सब एक भाव से जुड़े थे।”

मॉरीशस में त्रिवेणी का जल अर्पण
प्रधानमंत्री ने अपनी हाल ही में संपन्न मॉरीशस यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वह महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी से पवित्र जल लेकर गए थे और उसे मॉरीशस के ‘गंगा तालाब’ में अर्पित किया। यह आयोजन वहां भी श्रद्धा, आस्था और उत्सव का माहौल लेकर आया।
उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति की शक्ति को दर्शाता है और यह प्रमाणित करता है कि भारत की परंपराओं और मूल्यों का प्रभाव वैश्विक स्तर पर भी है।

राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा और महाकुंभ का संबंध
प्रधानमंत्री ने पिछले साल अयोध्या में हुए राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान हमने देखा कि देश अगले 1000 वर्षों की तैयारी कर रहा है। महाकुंभ ने इसे और अधिक प्रमाणित किया है।”
उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखते बल्कि वे राष्ट्रीय चेतना को भी जागृत करते हैं। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने यह दिखा दिया कि भारत की सामूहिक चेतना कितनी मजबूत है और यह देश के संकल्पों की सिद्धि के लिए प्रेरणा देने वाला आयोजन बना है।