Varanasi: प्रख्यात अभिनेता और लेखक आशुतोष राणा ने काशी में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी रचनात्मक यात्रा और जीवन दर्शन साझा किए। उन्होंने अपनी हालिया पुस्तक, जो भगवान राम पर आधारित है, के बारे में चर्चा की और बताया कि वे भगवान कृष्ण और शिव पर भी किताबें लिखने की योजना बना रहे हैं।
काशी (Varanasi) का अद्भुत अनुभव
आशुतोष राणा ने कहा, “बनारस की पवित्र भूमि पर आकर बाबा विश्वनाथ और काल भैरव के दर्शन करना मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव है। मैं 6 जनवरी को फिर बनारस आऊंगा और पहली बार ‘राम नाटक’ का मंचन करूंगा।”
महाकुंभ पर राजनीति से बचने की अपील
महाकुंभ के आयोजन पर हो रही राजनीति पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा, “महाकुंभ सदियों से हमारी परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। इस पर राजनीति करना अनुचित है। सनातन धर्म का यह गुण है कि इसका न कोई आदि है और न अंत। हमें गर्व होना चाहिए कि हम इस प्राचीन और विलक्षण संस्कृति का हिस्सा हैं।”
लोकतंत्र और राजनीति पर विचार
आशुतोष राणा ने लोकतंत्र की सुंदरता को रेखांकित करते हुए कहा, “हर नागरिक, जो लोकतंत्र का हिस्सा है, वह राजनीति में भी शामिल है। वोट देने का अधिकार हमें लोकतंत्र का सक्रिय भागीदार बनाता है। लोकतंत्र ‘हमारे लिए, हमारे द्वारा’ की भावना पर आधारित है, और यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है।”
रावण के व्यक्तित्व पर एक नई दृष्टि
उन्होंने रावण के व्यक्तित्व की जटिलताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, “रावण को सिर्फ खलनायक कहना उचित नहीं। वह एक महान विद्वान, शिव भक्त और तपस्वी था। उसकी नकारात्मकता उसके अहंकार और वासनाओं से उत्पन्न हुई, लेकिन उसके ज्ञान और तपस्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
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राम के आदर्शों को अपनाने का संदेश
आशुतोष राणा ने जीवन के संघर्षों का जिक्र करते हुए कहा, “हर व्यक्ति के भीतर राम और रावण का संघर्ष चलता है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम राम के आदर्शों को अपनाएं या रावण की राह पर चलें। जब हम राम के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाएंगे, तभी सच्चे अर्थों में सफल होंगे।”