वृंदावन। कथावाचक अनिरुद्धाचार्य (Aniruddhacharya) महाराज ने हाल ही में एक प्रवचन के दौरान समाज में बढ़ते रिश्तों के विघटन, विवाह संबंधों में आई गिरावट और नैतिकता के ह्रास पर अपनी चिंता व्यक्त की। वृंदावन में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने तलाक, दांपत्य जीवन, सनातन संस्कृति और महिलाओं की भूमिका को लेकर कई बयान दिए।
Aniruddhacharya ने शादी और तलाक पर उठाए सवाल
अनिरुद्धाचार्य महाराज ने वर्तमान समय में विवाह के संबंध में बढ़ती अस्थिरता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब शादी के कुछ ही महीनों बाद तलाक की नौबत आ जाती है। उन्होंने इसे एक नया “धंधा” करार देते हुए कहा कि बड़े परिवारों में यह सौदा करोड़ों में निपट जाता है, जबकि आम लोगों के लिए लाखों में। उन्होंने हाल ही में हुई कुछ घटनाओं का संदर्भ देते हुए यह भी कहा कि अगर बात नहीं बनी तो अंजाम और भी गंभीर हो सकता है।
पति की हत्या और विवाहेतर संबंधों पर टिप्पणी
अपने संबोधन में उन्होंने कुछ मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि अब महिलाएं अपने ही पतियों की हत्या कर रही हैं, उन्हें ड्रम में सीमेंट से भरकर छिपाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने सवाल किया कि महिलाओं की ऐसी “बुद्धि” कहां से आ रही है? उन्होंने कहा कि नैतिकता की गिरावट का परिणाम है कि कुछ महिलाएं विवाहेतर संबंधों में पड़कर अपने ही जीवनसाथी को खत्म करने तक की हद पार कर रही हैं।
सनातन संस्कृति और नैतिकता पर जोर
उन्होंने सनातन संस्कृति का उदाहरण देते हुए कहा कि हम सनातनी लोग मच्छर तक को मारने से बचते हैं, चूहों तक को भोजन देते हैं, तो फिर कैसे एक सनातनी व्यक्ति अपने पति की हत्या कर सकता है? उन्होंने कहा कि जिनके विचार दूषित हो जाते हैं, वे अपने ही परिवार को खत्म करने तक पहुंच जाते हैं।
समाज में बढ़ते अनैतिक संबंधों पर चिंता
अनिरुद्धाचार्य ने यह भी कहा कि समाज में अब लड़कियों और लड़कों के बीच संबंधों की परिभाषा बदल रही है। उन्होंने समलैंगिक संबंधों को लेकर भी अपनी आपत्ति जाहिर की और इसे नैतिकता के ह्रास का प्रतीक बताया।
सीता माता का उदाहरण
उन्होंने महिलाओं को सीख देने के लिए माता सीता का उदाहरण दिया और कहा कि जब रावण ने सीता माता को सोने की लंका में रखा, तब भी उन्होंने अपने पतिव्रत धर्म का पालन किया और भगवान राम के पास लौट आईं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को भी ऐसे ही संस्कारों को अपनाना चाहिए और अपने पतियों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
नारी का सम्मान और जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि नारी को समाज में विशेष स्थान मिला है क्योंकि वह दो कुलों की मर्यादा की रक्षक होती है। इसलिए महिलाओं को अपने कर्तव्यों और मर्यादाओं का पालन करना चाहिए।
धार्मिक आचरण और शुद्धता का महत्व
उन्होंने सनातन धर्म की परंपराओं को लेकर भी बात की और कहा कि धर्म सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के हर पहलू में मौजूद होना चाहिए। उन्होंने दैनिक जीवन में भी धार्मिक अनुशासन का पालन करने की बात कही और बताया कि सनातनी लोग लघुशंका तक भी नियमों का पालन करके करते हैं।
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विचारों की शुद्धता पर जोर
अनिरुद्धाचार्य ने मानसिक और नैतिक शुद्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार गंदगी में मच्छर-मक्खी आ जाते हैं, उसी प्रकार गलत संगति, नकारात्मक विचार और अश्लील कंटेंट देखने से व्यक्ति के विचार भी दूषित हो जाते हैं। उन्होंने समाज को चेताया कि अगर विचार शुद्ध नहीं होंगे, तो जीवन में गलतियां बढ़ेंगी और रिश्ते कमजोर पड़ेंगे।