Varanasi: भीषण गर्मी और तेज लू से जूझ रहे काशीवासियों को अब चौराहों व सडकों पर थोड़ी राहत मिलेगी। प्रयागराज मॉडल को अपनाते हुए वाराणसी में भी अब ट्रैफिक सिग्नलों पर ग्रीन नेट यानि कि हरी छायादार चादरें लगाए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। यह पहल पूर्व पार्षद और सामाजिक कार्यकर्ता रविशंकर सिंह के द्वारा नगर निगम के संज्ञान में लाई गई है।
दरअसल, बीते कुछ दिनों से तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। ऐसे में गर्मी का कहर सड़क पर चलने वाले आम लोगों, खासकर दोपहिया वाहन चालकों पर भारी पड़ रहा है। इसी को देखते हुए इस ग्र्रीन नेट की पहल लायी गई है। यह ग्रीन नेट ट्रैफिक सिग्नलों (Varanasi) पर लाल बत्ती के दौरान खड़े लोगों के लिए छांव का काम करेंगी और उन्हें गर्मी की तीव्रता से काफी हद तक राहत मिलेगी।
Varanasi: ग्रीन नेट से तपिश का असर 50% तक कम
रविशंकर सिंह ने नगर निगम को दिए अपने प्रस्ताव में कहा है कि ग्रीन नेट लगाने से चौराहों पर धूप और तपिश का असर लगभग 50% तक कम हो जाएगा। इससे वाहन चालकों को लू व हीट स्ट्रोक जैसी समस्याओं से भी बचाया जा सकता है। खासकर दोपहर के समय जब सूर्य की किरणें सीधी सड़क (Varanasi) पर पड़ती हैं, तब यह पहल और भी अधिक प्रभावी साबित होगी।
उन्होंने सुझाव दिया कि सबसे पहले उन प्रमुख चौराहों की पहचान की जानी चाहिए जहाँ वाहनों को लंबी अवधि तक रेड लाइट पर रुकना पड़ता है। ऐसे स्थानों पर ग्रीन नेट को इस तरह से स्थापित किया जाए कि वहां रुकने वाले दोपहिया व अन्य वाहन चालक सीधे धूप की चपेट में न आएं।
किसी प्रकार का व्यवधान न हो उत्पन्न
ग्रीन नेट लगाने के लिए लोहे या मजबूत पाइपों के सहारे स्थायी या अस्थायी स्ट्रक्चर बनाए जा सकते हैं। इन स्ट्रक्चर्स की ऊँचाई और चौड़ाई का निर्धारण इस तरह किया जाए कि वह यातायात (Varanasi) में किसी प्रकार का व्यवधान न उत्पन्न करे और छाया भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो।
पूर्व पार्षद रविशंकर सिंह ने बताया कि यह पहल प्रयागराज में पहले से लागू है और वहां के नागरिकों को इससे बड़ी राहत मिल रही है। ऐसे में वाराणसी जैसे धार्मिक और पर्यटन प्रधान शहर में जहां बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर यात्रा करते हैं, यह सुविधा और भी उपयोगी साबित हो सकती है।