Shri Kashi Vishwanath: गर्म हवाओं और चिलचिलाती धूप के बीच नौतपा ने सभी का हाल बेहाल कर दिया है। ऐसे में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में एक विशेष अनुष्ठान समपन्न हुआ। नौ दिनों तक चलने वाले नौत्पा को देखते हुए बाबा विश्वनाथ का ग्रीष्म ऋतु के फलों के रस से भव्य अभिषेक किया गया। साथ ही खस, गुलाब और मोगरे जैसे शीतल और सुगंधित इत्र तथा पुष्पमालाएं अर्पित कर महादेव से भीषण गर्मी को कम करने और शीतलता के लिए प्रार्थना की गई।
मंत्रोच्चार की दिव्य ध्वनि के बीच मंदिर परिसर में भक्ति की विशेष अनुभूति छाई रही। पुजारियों और श्रद्धालुओं ने मिलकर यह कामना की कि बाबा (Shri Kashi Vishwanath) की कृपा से जग का ताप शांत हो और लोगों के जीवन में शांति और संतुलन बना रहे।
Shri Kashi Vishwanath: आस्था का विशेष रूप
मंदिर न्यास के सीईओ विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि यह आयोजन कोई मात्र परंपरा नहीं, बल्कि भक्तों की गहरी आस्था और भावनात्मक समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “जब भक्त भगवान को कुछ समर्पित करता है, तो वह केवल वस्तु नहीं, अपने भाव अर्पित करता है। वही भाव सृष्टि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।”
उन्होंने बताया कि नौतपा के इस कालखंड में, जब गर्मी अपने चरम पर होती है, तब भगवान शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए 5-5 किलो लीची, गुलाब, बेल और आम का रस तैयार कर अभिषेक में अर्पित किया गया।
नौतपा के सभी नौ दिनों में बाबा का फलों के रस से नित्य अभिषेक किया जाएगा। यह क्रमात्मक अनुष्ठान शिव (Shri Kashi Vishwanath) के प्रति प्रेम, प्रकृति के प्रति सम्मान और सृष्टि के प्रति संतुलन की कामना से प्रेरित है। भक्तों का मानना है कि शिव को जो कुछ भी अर्पित किया जाता है, उसका प्रभाव समूचे जगत पर पड़ता है।
पूरे आयोजन के दौरान मंदिर परिसर (Shri Kashi Vishwanath) में भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। मंत्रों की गूंज, फूलों की सुगंध और फलों के रस की शीतलता ने वातावरण को अत्यंत भक्तिमय बना दिया। यह आयोजन न केवल एक धार्मिक रस्म था, बल्कि श्रद्धा और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक बनकर उभरा।