Varanasi: बारावफात के मौके पर पूरा शहर रौनक और रौशनियों से जगमग हो उठा। शुक्रवार को वाराणसी के विभिन्न इलाकों से मदहे सहाबा के जुलूस निकाले गए। नबी-ए-पाक की शान में पढ़े गए कसीदे और नातों से माहौल गूंजता रहा। इस साल के जुलूस में बिहार के मंत्री जमा खान विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

बेनियाबाग से निकला पहला जुलूस
मरकजी यौमुन्नबी कमेटी ने 80 साल पुरानी परंपरा निभाते हुए बेनियाबाग इलाके से शहर का पहला जुलूस (Baravafat) निकाला। इस वर्ष करीब 50 अंजुमनों ने शिरकत की और नबी की शान में नातख्वानी की। इनमें से बेहतरीन नात पेश करने वाले 6 अंजुमनों को सम्मानित भी किया गया।

Baravafat: रेवड़ी तालाब से लाखों की तादाद में शामिल लोग
दूसरा बड़ा जुलूस रेवड़ी तालाब से निकला, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। युवा झंडे लेकर रंग-बिरंगी पोशाकों और सजाई गई गाड़ियों पर चलते दिखे। डीजे और माइक पर लगातार नातिया कलाम पढ़े जा रहे थे। यह जुलूस बेनियाबाग मैदान तक पहुंचकर संपन्न हुआ।

कुरान की तिलावत से हुआ आगाज
कार्यक्रम की शुरुआत कुरान पाक की तिलावत से हुई। इसके बाद मरकजी यौमुन्नबी कमेटी की अंजुमनों ने नातिया कलाम पेश (Baravafat) किए। लोगों ने बड़े उत्साह से उन्हें सुना और वाह-वाह करते हुए नजराना भी पेश किया। बच्चों और बुजुर्गों की भी बड़ी संख्या जुलूस में मौजूद रही।

मुस्लिम बहुल इलाकों में बारावफात (Baravafat) की तैयारी देखते ही बन रही थी। मस्जिदों, मज़ारों और सड़कों को आकर्षक सजावट से सजाया गया था। रातभर इलाकों में जुलूस का इस्तकबाल किया गया और जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए।

मरकजी यौमुन्नबी कमेटी के अध्यक्ष हाजी शकील अहमद ने बताया कि यह जुलूस आजादी से पहले हमारे बुजुर्गों ने शुरू किया था। इस बार भी 50 से अधिक अंजुमनें इसमें शामिल हुईं। जुलूस का मार्ग हड़हासराय, छत्तातला, नया चौक, दालमंडी, नई सड़क से होता हुआ बिस्मिल्लाह खां के आवास के पास जाकर समाप्त हुआ।