लखनऊ। भारतीय कृषक अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय उपपोषण बागवानी संस्थान,रहमानखेड़ा,लखनऊ में जल एवं जलाक्रांत भूमि प्रबंधन विषय पर हिन्दी कार्यशाला सम्पन्न हुई।संस्थान के निदेशक एवं राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष डॉ टी.दामोदरन की अध्यक्षता में नव विक्रम संवत 2080 एवं विश्व जल दिवस के अवसर पर एक हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमे ‘आर्द्रभूमि/जलाक्रांत भूमि प्रबंधन’ विषय पर डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय,समस्तीपुर,पूर्व कुलपति डॉ.आर.सी.श्रीवास्तव ने व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने भाषण में आर्द्र भूमि के पारिस्थितिकी संतुलन,विविधता तथा उनके रखरखाव एवं उनको रामसर सम्मलेन के नियमानुसार विकसित करने आदि संबंधी विस्तृत जानकारी से उपस्थित प्रतिभागियों को लाभान्वित किया। उन्होंने भूमिगत जल के बुद्धिमत्ता पूर्ण उपयोग पर वल दिया। कार्यशाला में केंद्रीय मृदा लवणता अनुसन्धान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र,लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.सी.एल.वर्मा ने जलभराव क्षेत्र में समन्वित कृषि प्रणाली विषय पर बोलते हुए जलभराव वाले क्षेत्रों में उगने वाली फसलों की समन्वित कृषि करने पर अपना व्याख्यान दिया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ.टी.दामोदरन ने संस्थान की गतिविधियों के वारें में मुख्य अतिथि को अवगत कराया तथा संस्थान द्वारा विकसित तकनीको को कृषकों तक पहुचाने में हिंदी भाषा के महत्व को इंगित किया। इस कार्यशाला में संस्थान के वैज्ञानिक एवं कर्मचारियों के अलावा भारतीय गन्ना अनुसन्धान संस्थान,लखनऊ,राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन व्यूरो,लखनऊ एवं राज्य कृषि प्रबंध संस्थान,रहमान खेडा,लखनऊ से वैज्ञानिकों/अधिकारियों ने भी प्रतिभाग किया। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के क्षेत्रीय अनुसन्धान केंद्र,माल्दा,पश्चिम बंगाल के वैज्ञानिकों एवं संस्थान में दक्षता विकास पर आयोजित किये जा रहे प्रशिक्षण के प्रशिक्षणार्थी आनलाइन माध्यम द्वारा कार्यशाला से जुड़े। इस कार्यक्रम में कुल 90 वैज्ञानिको/अधिकारियो/कर्मचारियों/प्रशिक्षणार्थियों ने प्रतिभाग किया तथा कार्यक्रम का समन्वयन अरविन्द कुमार नोडल अधिकारी राजभाषा द्वारा किया गया।
sudha jaiswal