एक पहेली है कि कौन सी ऐसी चीज है जो सदा बढ़ती है कम नहीं होती। इसका उत्तर है उम्र! उम्र को लेकर यहीं धारणा रही है कि ये कभी कम नहीं होती पर अब एक देश में लोगों की उम्र कम होने जा रही हैं। हम जिस देश की बात कर रहे है उसका नाम है दक्षिण कोरिया। ये देश जनवरी 2023 से अपने नागरिकों की उम्र करने करने जा रहा है। इसे लेकर सोशल मीडिया से लेकर दुनिया भर की मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। हर कोई जानना चाह रहा है कि आखिर ये कैसे संभव है। चलिए हम आपको बताते हैं आखिर पूरा मामला क्या है और कैसे वहां के लोग 2 साल छोटे होने वाले हैं।
दक्षिण कोरिया में है उम्र जानने के 3 तरीके
आपको बता दें कि गुरुवार को दक्षिण कोरियाई सरकार ने लोगों की उम्र गणना के लिए एक नया कानून पारित किया। इसका उद्देश्य देश में उम्र की गणना कैसे की जाए, उसका मानकीकरण करना है। इससे पहले ये जानना जरूरी है कि इस देश में उम्र की गणना कैसे होती है। दक्षिण कोरिया में उम्र की गणना अन्य देशों से काफी अलग है। वर्तमान में दक्षिण कोरियाई लोगों के उम्र की गणना एक तरीके से नहीं, बल्कि तीन-तीन तरीकों से की जाती है। इसमें एक अंतरराष्ट्रीय उम्र, एक कोरियाई उम्र और तीसरा कैलेंडर। दक्षिण कोरिया में जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसे उसी समय एक साल का माना जाता है। वहीं जब नया साल आता है तो बच्चे की उम्र में एक साल और जुड़ जाता है यानी वह 2 साल का हो जाता है। ऐसे में तीन तरीकों से उम्र मापने की वजह से कई बार भ्रम की स्थिति बन जाती है। इसे अब रोकने के लिए ही सरकार यह कानून लेकर आई है और अब इस कानून के तहत जून 2023 से सभी ऑफिशियल डॉक्युमेंट्स में मानक अंतरराष्ट्रीय उम्र का इस्तेमाल जरूरी होगा।
प्रामाणिक पद्धति का होगा अमल
ऐसे में इन तमाम तरीकों को हटाकर एक प्रामाणिक पद्धति लाने के लिए दक्षिण कोरियाई संसद जून 2023 से सभी आधिकारिक दस्तावेजों में मानक अंतरराष्ट्रीय आयु का उपयोग अनिवार्य करने का फैसला किया है। इस नियम के बाद देश में किसी भी सरकारी कागज में लोगों की तीन-तीन उम्र की जगह बाकी देशों के नागरिकों की तरह सिर्फ एक उम्र ही लिखी जाएगी। इसका मतलब ये है कि इस देश की 5.7 करोड़ नागरिकों की उम्र एक या दो साल कम करने जा रहा है। हालांकि, यह केवल कागजों पर ही रहेगा।
राष्ट्रपति चुनाव का था अहम मुद्दा
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल उम्र की गणना की इस प्रणाली को बदलने पर हमेशा जोर देते रहे हैं। यहां तक चुनाव के दौरान उन्होंने पद मिलने पर पारंपरिक व्यवस्था को समाप्त करने की बात कही थी। वहीं राष्ट्रपति चुनाव ट्रांजिशन कमेटी के प्रमुख ली योंग-हो ने भी हाल ही में कहा था कि नई सरकार दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह देश में भी उम्र-गणना प्रणाली को लागू करना चाहती है। उन्होंने कहा, उम्र की गणना का यह तरीका स्कूलों में प्रवेश लेते समय, खासकर विश्वविद्यालयों और देश के बाहर नौकरियों में कई समस्याएं पैदा करता है।
कोविड के समय उठी थी इसकी मांग
गौरतलब है कि पारंपरिक व्यवस्था को खत्म करने की मांग ने इस साल जनवरी में कोविड टीकाकरण के समय जोर पकड़ा। इस बीच स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कोविड टीकाकरण के लिए जारी गाइडलाइंस में इंटरनेशनल एज सिस्टम के साथ ही कोरियन एज सिस्टम को भी शामिल कर लिया है। इससे उम्र को लेकर लोगों में काफी भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। इस वजह से राष्ट्रपति चुनाव में यह एक अहम मुद्दा बन गया था। दक्षिण कोरिया के सांसदों ने उम्र की गणना के पारंपरिक तरीके कोरियाई युग को खत्म करने के लिए गुरुवार को मतदान किया।