Architect Association: वाराणसी आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन की ओर से नदेसर स्थित होटल ताज गैंगेज के दरबार हॉल में रविवार को ‘स्थापत्य शिल्प समागम’ का समापन हुआ। दो दिवसीय आयोजित इस कार्यक्रम में स्थानीय समेत प्रदेश भर से आए नामचीन आर्किटेक्ट्स ने अपने अनुभव और आधुनिक तकनीकों के बाबत जानकारी साक्षा की। रविवार को मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने काशी के विकास में आर्किटेक्ट्स के योगदान और जिम्मेदारी पर प्रकाश डाला। कहा कि आधुनिकता और विकास में मूल संस्कृति का समावेश होना जरुरी है।
उन्होंने कहा कि काशी नगरी अति प्रचीन होने के साथ यहां मंदिरों और मठों में स्थापत्य कला की झलक दिखाई देती है। जो भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए आकर्षण का केंद्र है। आधुनिकता और विकास में मूल संस्कृति का समावेश होना जरूरी है। उसी स्वरूप को जीवंत रखने की महती जिम्मेदारी काशी के आर्किटेक्ट्स (Architect Association) निभा सकते हैं। आर्किटेकट्स की कला से निर्मित होने वाले भवन प्राचीन स्थापत्य कला को जीवंत कर सकते हैं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि ने आर्किटेक्ट क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कुल आठ आर्किटेक्ट्स को सम्मानित किया। इस दौरान एसोसिएशन (Architect Association) के अध्यक्ष राजेश कुमार दीक्षित, पूर्व अध्यक्ष आरसी जैन, अतुल राय, सीपी चावला और अनुराग कुशवाहा ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न व बुके देकर सम्मानित किया। इस दौरान लघु प्रदर्शनी के जरिए विशेषज्ञों ने दी काशी के विकास के लिए नवीन तकनीकों की उपयोगिता की जानकारी भी दी।

बताते चलें कि शनिवार को वाराणसी आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन (Architect Association) की ओर से आयोजित दो दिवसीय ‘स्थापत्य शिल्प समागम’ का उद्घाटन शहर के महापौर अशोक तिवारी ने किया था। जिसमें एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने मुख्य अतिथि महापौर सहित प्रमुख उद्यमी आरके चौधरी, महानगर उद्योग व्यापार समिति के अध्यक्ष प्रेम मिश्रा और विकास प्राधिकरण के टाउन प्लानर मनोज कुमार को सम्मानित किया गया था। शनिवार को आयोजन के दूसरे सत्र में एसोसिएशन के कार्यकारी परिषद की 73वीं बैठक का आयोजन हुई थी।
कार्यक्रम में स्थानीय आर्किटेक्ट्स के साथ ऐतिहासिक शहरों के विकास में आ रही चुनौतियों और उसके निदान के बारे में मंथन किया गया था। कार्यक्रम के पश्चात प्रदेश भर से आए सभी आर्किटेक्ट्स ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भ्रमण किया और गंगा आरती देखी। कार्यक्रम में उप्र आर्किटेस्ट्स एसोसिएशन (Architect Association) के अध्यक्ष जोगेश कुमार, सचिव अंकित अग्रवाल, वाराणसी एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश कुमार दीक्षित, सचिव हिमांशु श्रीवास्तव, पूर्व अध्यक्ष आरसी जैन, अनुराग कुशवाहा, श्यामलाल सिंह, सीपी चावला, अतुल राय, पायस्वनी जायसवाल, नितिन राज, गुलाब शुक्ला, कोषाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के सफल आयोजन में रितेश कश्यप, कुणाल कालरा, रोहित गुप्ता, अतुल वर्मा, विकास तिवारी, रितिका श्रीवास्तव आदि का प्रमुख रूप से योगदान रहा।
‘प्रदेश में विकसित होंगे 100 टाउनशिप’ बोले नितिन रमेश गोकर्ण
- वाराणसी आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन (Architect Association) के दो दिवसीय स्थापत्य शिल्प समागम कार्यक्रम में पहुंचे अपर मुख्य सचिव
वाराणसी आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन (Architect Association) के दो दिवसीय स्थापत्य शिल्प समागम के दूसरे दिन रविवार को पहुंचे प्रदेश सरकार के आवास एवं शहरी नियोजन विभाग और राज्य कर विभाग के अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने बताया कि प्रदेश भर में 100 टाउनशिप विकसित किये जायेंगे। इस प्रमुख योजना को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है।
विशिष्ट अतिथि पद से समागम को संबोधित करते हुए अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा कि प्रदेश में विकसित होने वाले नये टाउनशिप के निर्माण में आर्किटेक्ट्स (Architect Association) की अहम भूमिका होगी। उन्होंने बताया कि दो दशकों में काशी में काफी बदलाब देखने को मिला है। इस बदलाव और विकास के साथ ही सरकारी योजनओं में आर्किटेक्ट्स का रोल अहम रोल है। इसकी बानगी वर्तमान में लोक निर्माण विभाग की तरफ से पूरे प्रदेश में निर्मित 25 अटल आवासीय विद्यालय हैं, जो बनकर तैयार हो चुके हैं। इसके अलावा केंद्र की ओर से 19 मास्टर प्लान भी आने वाले हैं। जिनमें आर्किटेक्ट्स की भूमिका अहम होने वाली है।

इसके पूर्व उन्होंने कंपनियों की तरफ से लगाये गए भवन निर्माण सामग्री के लघु प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। साथ ही विशेषज्ञों से उनके बारे में जानकारी ली। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश कुमार दिक्षित, पूर्व अध्यक्ष आरसी जैन, अतुल राय, सीपी चावला और अनुराग कुशवाहा ने अपर मुख्य सचिव को स्मृति चिह्न व बुके देकर सम्मानित किया। धन्यवाद उप्र आर्किटेस्ट्स एसोसिएशन (Architect Association) के अध्यक्ष जोगेश कुमार ने दिया।
Architect Association: राजस्थान में हुए विकास कार्य से लेनी होगी सीख
कार्यक्रम में स्थानीय आर्किटेक्ट्स (Architect Association) के साथ ऐतिहासिक शहरों के विकास में आ रही चुनौतियों और उसके निदान के बारे में अपने अनुभव साझा किये गए। दो दिवसीय कार्यक्रम में रविवार को प्रात:कालीन सत्र में ‘इंफ्रास्टेक्चर डेवलपमेंट में आर्किटेक्ट्स की चुनौतियां’ विषय पर परिचर्चा हुई। जिसमें आर्किटेक्ट अनुपम मित्तल, अशोक कुमार, प्रो. निर्मिता मेहरोत्रा, वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के टाउन प्लानर मनोज कुमान ने हिस्सा लिया।
परिचर्चा में आर्किटेक्ट (Architect Association) अशोक कुमार ने बताया कि काशी आर्किटेक्ट्स के लिए बड़ा प्लेटफार्म है। यहां के मार्गों और प्राचीन इमारतों को विकसित करने के लिए उनके शिल्पकारी को जानने की जरूरत है। हमें राजस्थान से उदाहरण लेना चाहिए, जहां सबसे ज्यादा हेरिटेज प्रापर्टी हैं। इनमें 100 से ज्यादा राजघरानों के भवनों को, जिनमें राजस्थान के शहर उदयपुर, पुष्कर, जयपुर और जैसरमेल शामिल हैं। इन्हें होटल और म्यूजियम के रूप में विकसित कर पर्यटन उद्योग के रूप में उपयोग किया जा रहा है, जिससे राजस्व का भी लाभ हो रहा है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के हेरिटेज संपत्तियों को विकसित करने की जरूरत है।
सीवर लाइन व इंफ्राक्स्ट्रक्चर बड़ी चुनौती
वीडीए टाउन प्लानर मनोज कुमार ने बताया कि हेरिटेज सिटी में सीवर लाइन, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि आर्किटेक्ट्स के लिए बड़ी चुनौती है। जिस पर अनुभव और ज्यादा से ज्यादा जानकारी लेकर सफलता हासिल की जा सकती है। नोएडा के गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी से आई प्रो. निर्मिता मेहरोत्रा ने बताया कि हम कहीं न कहीं ट्रान्सपोर्ट को इंफ्रास्ट्रक्चर से जोड़ लेते हैं। जबकि ड्रेनेज प्रॉब्लम सबसे ज्यादा डेवलपमेंट में जिम्मेदार होती है। हेरिटेज सिटी विकसित करने के लिए आर्किटेक्ट्स को वाटर हार्वेस्टिंग और साइकिलिंग प्लान बनाने की जरूरत है।

पुरातन के संग आधुनिक ज्ञान का होना जरुरी
कार्यक्रम (Architect Association) के दूसरे सत्र में ‘हेरिटेज शहरों में विकास की चुनौतियां’ विषय पर चर्चा हुई। इसमें स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर भोपाल के प्रो. अजय खरे ने बताया कि जब ब्रिटिश शासन था, तब अंग्रेजों ने भारतीय इमारतों के अनुरूप भवनों का निर्माण कराना प्रारंभ किया। आजादी से पूर्व ही इमारतों को हरियालीयुक्त बनाने की परंपरा शुरू हो चुकी थी। आधुनिक समय में आर्किटेक्ट्स ने राजाओं के भवनों को हेरिटेज होटलों में परिवर्तित कर राजस्व बढ़ाने का कार्य किया।
इसके अलावा म्यूजियम भी बनाने की योजना की शुरूआत हुई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में इन प्रचीन इमारतों को विकसित करने के लिए आर्किटेक्ट्स को आधुनिक ज्ञान भी लेना बहुत जरूरी है। इसके अलावा प्रो. रचना खरे और आर्किटेक्ट अशोक कुमार ने अपने अनुभव साझा किये। इस सत्र का संचालन अर्किटेक्ट मुदिता कपूर ने किया।

प्रदर्शनी में इन कंपनियों ने लिया हिस्सा
स्थापत्य शिल्प समागम में जैगुआर, राजेश एजेंसी, एटमबर्ग, ए क्लास मार्बल, फिलिप्स, सुहुको, अनु टर्फ, प्रयाग क्ले प्रोडक्टस, हिंद एलेवाटर आदि कंपनियों ने हिस्सा लिया। कंपनियों के प्रतिनिधि विशेषज्ञों ने भवन निर्माण सामग्री की लघु प्रदर्शनी के माध्यम से जानकारी दी। इन कंपनियों ने फोटो प्रदर्शनी और प्रोजेक्टर के माध्यम से आधुनिक तकनीक और सामग्रियों के उपयोग के बारे में लोगों को बताया।
Highlights
कंपनियों ने बताई अपने उत्पादों की विशेषता
स्थापत्य शिल्प समागम में आने वाली कंपिनयों के प्रतिनिधियों ने अपने उत्पादों की विशेषता बताई। इस दौरान उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से अपनी लघु फिल्म का प्रदर्शन कर आधुनिक तकनीक से विकसित सुंदर और मजबूत उत्पाद के कार्य और उसकी गुणवत्ता के बारे में जानकारी दी। जिनमें हिंदवेयर के अजय शर्मा, प्रिंस पाइप के अवधेश मिश्रा, शुभारंभ कार्पेट के ऋषिकेश, फिलिप्स के संजीव मेहरोत्रा, रक्षा पाइप के आरके सिंह, विनय इलेक्ट्रिक सॉल्यूशन के आदित्य अग्रवाल आदि शामिल रहे।