Kashi: जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने नेपाल को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि नेपाल मात्र एक पड़ोसी देश नहीं, बल्कि भारत का आध्यात्मिक परिवार है। शंकराचार्य 11 सितंबर को एक दिवसीय यात्रा पर काशी पधारेंगे और यहां विशेष अनुष्ठान व पूजन करेंगे। उनके आगमन को लेकर काशी के धार्मिक और आध्यात्मिक समुदाय में उत्साह का माहौल है।
नेपाल को बताया सनातन परंपरा का केंद्र
शंकराचार्य ने कहा कि नेपाल सदियों से सनातन धर्म का एक प्रमुख केंद्र रहा है। यह केवल भौगोलिक रूप से भारत का पड़ोसी नहीं, बल्कि हमारे साझा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिवार का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान समय में कुछ तत्व नेपाल को उसकी जड़ों से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं, जो वहां की सांस्कृतिक पहचान के लिए हानिकारक है।
Kashi- सनातन जड़ों में है शक्ति
उन्होंने कहा कि नेपाल की वास्तविक समृद्धि और शक्ति उसकी सनातन परंपराओं और आध्यात्मिक (Kashi) जड़ों में छिपी है। वहां के लोगों को यह समझना होगा कि उनका सांस्कृतिक वैभव उनके पूर्वजों की धार्मिक और नैतिक परंपराओं के पालन से ही सुरक्षित रह सकता है।
प्रेम और शांति का दिया संदेश
नेपाल की जनता को संदेश देते हुए शंकराचार्य ने अपील की कि वे किसी भी बाहरी प्रभाव या आंतरिक संघर्ष के कारण अपनी पहचान और मूल्यों से समझौता न करें। उन्होंने कहा – “प्रेम, शांति और भाईचारे का मार्ग ही हमारी असली शक्ति है। यही नेपाल की स्थिरता और समृद्धि का आधार है।”
शंकराचार्य ने भारत और नेपाल के रिश्तों को केवल राजनीतिक या भौगोलिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आधार पर भी गहराई से जुड़ा हुआ बताया। उन्होंने भगवान पशुपतिनाथ (Kashi) से प्रार्थना करते हुए कहा कि नेपाल में जल्द ही शांति, स्थिरता और समृद्धि कायम हो।
मुंबई में चातुर्मास व्रत अनुष्ठान संपन्न करने के बाद शंकराचार्य अब काशी (Kashi) आ रहे हैं। 11 सितंबर को वे काशी में विशेष पूजन और अनुष्ठान करेंगे। इस दौरान नेपाल की सुख-शांति और भारत-नेपाल संबंधों की मजबूती के लिए भी प्रार्थना की जाएगी।