Banarasi Saree : अक्सर लोगों में ये कंफ्यूजन रहती है कि वो जो बनारसी साड़ी (Banarasi Saree) खरीद रहे हैं वो सही या नहीं, असली है या नकली, उसमें जो काम है वो किस प्रकार का है तो अब इन सभी दुविधा को दूर करते हुए बनरसी साड़ियों की खूबियां लोगों तक अब क्यूआर कोड पहुंचाएगा। बनारसी साड़ी में लगे क्यूआर कोड को स्कैन करते ही साड़ी की फैब्रिक, उसकी बुनाई, उसमें इस्तेमाल होने वाले धागे, जरी के साथ ही उसकी गुणवत्ता की पूरी जानकारी सामने आ जाएगी।

अब ज्यादा से ज्यादा दूकानदार अपनी दूकान की बनारसी साड़ियों (Banarasi Saree) में क्यूआर कोड लगवा रहे हैं ताकि उनके ग्राहकों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी ना हो। ऐसे ही रामनगर के एक कारोबारी ने 300 बनारसी साड़ियों में क्यूआर कोड लगवाया और खासियत के साथ पूरी रिपोर्ट हथकरघा विभाग को सौंप दी है। विभाग ने भी इसे काफी पसंद किया है।

क्यूआर कोड (Banarasi Saree) की टैगिंग से साड़ी में इस्तेमाल रेशम, धागे, जरी असली हैं या नहीं, इसकी जानकारी मिल जाएगी। क्यूआर कोड को साड़ी के किनारे ब्रांड नेम के नीचे लगाया गया है। इसे मोबाइल कैमरे से स्कैन करने पर एक लिंक दिखेगा। लिंक खोलते ही साड़ी का पूरा ब्योरा ग्राहक के सामने होगा। नई व्यवस्था से बनारसी साड़ी की लोकप्रियता और बढ़ेगी। विश्वसनीयता बनाए रखी जा सकेगी। ब्रांड नेम का दुरुपयोग नहीं हो सकेगा। नकली साड़ियां नहीं बेची जा सकेंगी।
Banarasi Saree : साड़ियों में क्यूआर कोड से देने का यह पहला प्रयोग
बताते चलें कि बनारसी साड़ियों (Banarasi Saree) की पूरी जानकारी क्यूआर कोड से देने का यह पहला प्रयोग है। इससे नकली और असली साड़ी की पहचान होगी। इसका लाभ बुनकरों को भी मिलेगा। तकनीक से सभी कारोबारियों को जोड़ा जाएगा।