BHU Boundary Wall: बीएचयू में कैंपस बंटवारे का मामला गरमाता जा रहा है। आईआईटी और बीएचयू के बीच दीवार को लेकर छात्रों में आक्रोश व्याप्त है। शनिवार को क्लास बंद कर हजारों की संख्या में छात्र सड़क पर उतर आए। बताया जा रहा है कि सभी छात्रावासों में जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। वहीं, छात्र बैनर लेकर सड़कों पर उतर आए और मार्च निकाला। इस दौरान छात्रों ने एकजुटता दर्शाते हुए जबर्दस्त प्रदर्शन भी किया।
बीएचयू विभाजन [BHU Boundary Wall] के खिलाफ विधि संकाय, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, सामाजिक विज्ञान संकाय, कला संकाय, वाणिज्य संख्याएं तथा कृषि संस्थान के छात्रों ने अपनी-अपनी कक्षाओं का बहिष्कार करके विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आक्रोश मार्च निकाला। इस दौरान छात्र महामना पं. मदन मोहन मालवीय की तस्वीर और विश्वविद्यालय का झंडा भी लिये हुए थे। छात्रों का मार्च छात्रसंघ भवन तक जाकर विरोध दर्ज कराया।

आईआईटी बीएचयू में छात्रा से छेड़खानी की घटना के बाद दीवार बनवाने का फैसला [BHU Boundary Wall] लिया गया है। जिस पर छात्रों का कहना है कि ये सुरक्षा का हल नहीं है। पहले से ही बीएचयू का परिसर चारों तरफ से 10 से 12 फीट की दीवार से घिरा है। आईआईटी के साथ बीएचयू के बाकी छात्रों की सुरक्षा भी अहम है। ऐसे में सिर्फ घेरेबंदी में सिर्फ आईआईटी को घेरना कैसे सही हो सकता है।
छात्रों का कहना है कि परिसर में बीएचयू और आईआईटी को मिलाकर करीब 90 छात्रावास हैं। इनमें करीब 20 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं रहते हैं। शिक्षक और कर्मचारियों के 600 से अधिक आवास भी हैं। जहां करीब पांच हजार लोग रहते हैं। ऐसे में सुरक्षा की बात पूरे परिसर की होनी चाहिए थी, न कि आईआईटी में दीवार बनवाने की। छात्रों का कहना है कि बीएचयू का विभाजन किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
छात्रों के साथ कहना था कि बीएचयू में सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी की जानी चाहिए। दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन इसके विकल्प में दीवार खड़ा करना समस्या का समाधान नहीं है। छात्र नेता मृत्युंजय तिवारी आजाद ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को तत्काल प्रभाव से स्पष्टीकरण देना चाहिए की किस अधिकार से बीएचयू को खंडित करना चाहते हैं। उनकी मंसा बीएचयू हित में नहीं है। इसके लिए हम लोग लगातार विरोध दर्ज कराते रहेंगे।

पतंजलि ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन विखंडनवादी मानसिकता [BHU Boundary Wall] का है, जिसका महामना परिवार विरोध करेगा तथा लोकतांत्रिक तरीके से लड़ाई लड़ता रहेगा। आशीर्वाद ने कहा कि बीएचयू प्रशासन मानसिक दिवालियापन का शिकार हो गया है। छात्रों की लड़ाई में बीएचयू के वरिष्ठ अध्यापकों तथा कर्मचारियों का भी समर्थन प्राप्त हुआ है, जिसमें सामाजिक विज्ञान संकाय के पूर्व संकाय प्रमुख कौशल किशोर मिश्रा ने भी छात्रों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद किया।
BHU Boundary Wall: दीवार बनाने की राह आसान नहीं, करना पड़ेगा एक्ट में संशोधन
आईआईटी बीएचयू परिसर में दीवार [BHU Boundary Wall] बनाए जाने के प्रशासनिक फैसले को अमल में लाना चुनौती से कम नहीं है। 2012 में आईटी बीएचयू को आईआईटी का दर्जा मिलने के दौरान जो एक्ट बनाया गया था, उसमें ये प्रस्ताव भी शामिल था कि आईआईटी बीएचयू विश्वविद्यालय से अलग नहीं होगा। करीब पांच साल पहले भी आईआईटी बीएचयू परिसर में बाउंड्रीवॉल बनाए जाने की पहल हुई थी, लेकिन इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका था। दीवार बनाने के लिए एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा।
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने बीएचयू की स्थापना के तीन साल बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए 1919 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज की शुरूआत कराई। आगे चलकर इसका नाम आईटी बीएचयू हो गया। 2012 में इसे आईआईटी का दर्जा मिला। इसके लिए एक अमेंडमेंट एक्ट भी पारित किया गया था, जिसमें देश भर के अन्य आईआईटी के साथ ही आईआईटी बीएचयू को लेकर भी कई अहम फैसले किए गए थे। इस एक्ट के बाद आईटी से आईआईटी बीएचयू बन गया।

सूत्रों के मुताबिक, दीवार बनाने के फैसले [BHU Boundary Wall] को अमलीजामा बनवाने के लिए एक्ट में भी संशोधन की जरूरत पड़ सकती है। बीएचयू के छात्रों के साथ ही शिक्षकों की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है। परिसर में दीवार बनवाने के फैसले को लेकर राजनीतिक दबाव भी झेलना पड़ सकता है। आईटी से आईआईटी बीएचयू बनाए जाने के दौरान दोनों संस्थानों के बीच एक आपसी समझौता भी हुआ था। जिस पर उस समय के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी सहमति जताई थी।
इसमें सुरक्षा, जल, विद्युत के साथ ही स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं की केंद्रीयकृत व्यवस्था रखने का निर्णय हुआ था। वर्तमान में ऐसा ही चल भी रहा था। इधर, कुछ सालों से धीरे-धीरे आईआईटी प्रशासन ने एक-एक कर व्यवस्थाओं से खुद को अलग रखने की पहल की।
सूत्रों की माने तो प्रमुख मुद्दा सुरक्षा की अगर बात करें तो पहले आईआईटी में ज्वाइंट चीफ प्रॉक्टर होते थे और बीएचयू चीफ प्रॉक्टर की देखरेख वाली टीम यहां सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभालती थी। अब एक साल से आईआईटी में भी खुद चीफ प्रॉक्टर की तैनाती होने लगी। अभी भी जल, विद्युत के साथ ही स्वास्थ्य की सुविधाओं का लाभ आईआईटी छात्र-छात्रा, शिक्षकों को सर सुंदरलाल अस्पताल में बिल्कुल उसी तरह मिलती है, जैसे बीएचयू के शिक्षक, कर्मचारी, छात्र को मिलती है। ऐसे में दीवार बनाने के फैसले [BHU Boundary Wall] को धरातल पर उतारना विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए आसान नजर नहीं आ रहा है।