बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद ऐसा है जिसके बारे में जानकार आप चौंक जाएंगे। छात्रों का आरोप है कि कला संकाय के एक विभाग में एक अभ्यर्थी को बिना EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) प्रमाणपत्र और अंडरटेकिंग के ही पीएचडी में प्रवेश दे दिया गया। यह मामला अब सोशल मीडिया से लेकर विश्वविद्यालय के गलियारों तक चर्चा का विषय बन गया है। सोशल मीडिया पर इस मामले का कागज बहुत तेजी से वायरल हो रहा है।

इस मामले के खिलाफ BHU के छात्र भास्करादित्य त्रिपाठी संग अन्य कई छात्र भी वीसी लॉज के बाहर धरने पर बैठे हैं। इसी बीच उन्होंने सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज़ साझा किया है जिसे BHU की जांच समिति की रिपोर्ट बताया जा रहा है। वायरल रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि संबंधित अभ्यर्थी को नियमों की अनदेखी करते हुए बिना वैध प्रमाणपत्र के प्रवेश दे दिया गया, जबकि यह संकाय के नियमों के विरुद्ध है।
मामले को संज्ञान में लेते हुए इसपर कार्रवाई करने के लिए BHU छात्रों ने कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार को ज्ञापन सौंपा है और इसके निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

BHU डीन पर भी लगाए गए गंभीर आरोप
कई छात्रों ने विश्वविद्यालय के एक डीन पर अकादमिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार को ज्ञापन सौंपा है। छात्रों का कहना है कि बिना किसी ठोस कारण के बार-बार जांच समितियां बनाई जा रही हैं और पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से उलझाया जा रहा है।
UGC ने प्रवेश प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई
घटना के तूल पकड़ने के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने BHU को पत्र लिखकर पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। यह निर्देश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक जांच समिति की रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता। UGC के सचिव प्रो. मनीष आर. जोशी द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया है कि प्रवेश प्रक्रिया में आई विसंगतियों को गंभीरता से लिया गया है।
पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि BHU में पीएचडी प्रवेश से संबंधित मामलों की जांच और UGC विनियमों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है। BHU प्रशासन ने इस पत्र के मिलने के बाद एक उच्चस्तरीय बैठक भी की है।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर छात्रों में भारी आक्रोश है। VC आवास के बाहर छात्रों का विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है। छात्रों की मांग है कि संबंधित विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई हो और पूरे मामले में पारदर्शिता लाई जाए। आपको बताते चलें कि BHU के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब यूजीसी ने किसी प्रवेश प्रक्रिया में इस स्तर पर हस्तक्षेप किया है।