बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) को एक नया कुलपति मिल गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी को बीएचयू का 29वां कुलपति नियुक्त किया है। उनका कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्ष या फिर 70 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक रहेगा।
शैक्षिक और प्रशासनिक अनुभवों से समृद्ध प्रोफेसर चतुर्वेदी का बीएचयू (BHU) से पुराना संबंध रहा है। वे वर्ष 1994 से 1996 तक बीएचयू के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग में अध्यापन कर चुके हैं। उनकी यह वापसी अब विश्वविद्यालय को एक नए शैक्षणिक और शोध आधारित दिशा में ले जाने की संभावना लेकर आई है।
IITs में दो दशकों से अधिक का अनुभव
प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने आईआईटी कानपुर से ही अपनी शैक्षणिक यात्रा शुरू की थी, जहां उन्होंने बी.टेक., एम.टेक. और पीएच.डी. (1986-1995) इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पूरी की। इसके बाद वे IIT-BHU से होते हुए आईआईटी रुड़की में प्रोफेसर नियुक्त हुए।
वर्ष 1999 में वे फिर आईआईटी कानपुर लौटे और यहां वे इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष, अनुसंधान एवं विकास डीन, उप निदेशक, और बाद में संजय एवं रचना प्रधान चेयर प्रोफेसर जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे। मार्च 2015 के बाद, वे दोबारा आईआईटी रुड़की लौटे और जनवरी 2017 से अक्टूबर 2022 तक संस्थान के निदेशक पद पर रहे।
BHU: शिक्षा क्षेत्र में अनेक सम्मान
प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) का टीचर्स अवार्ड, आईआईटी कानपुर का विशिष्ट शिक्षक सम्मान, और सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी द्वारा टैन चिन तुआन फैलोशिप जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
वे टेलीकॉम स्टैंडर्ड्स डेवलपमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया (TSDSI) के संस्थापक सदस्य भी हैं, जो भारत में दूरसंचार मानकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
प्रोफेसर चतुर्वेदी का बीएचयू में आगमन विश्वविद्यालय के लिए एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। शिक्षण, शोध और प्रशासन में उनका दीर्घकालिक अनुभव और तकनीकी विशेषज्ञता निश्चित रूप से विश्वविद्यालय (BHU) की वैश्विक पहचान को और मजबूत करेगी।