वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में चल रहे चयन विवाद के बीच गुरुवार को धरनास्थल पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी। प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में शोधार्थी के तौर पर चयन को लेकर जारी विवाद के आठवें दिन जैसे ही विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से पेमेंट लिंक जारी हुआ, वहां मौजूद छात्र-छात्राओं के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई।
इस संघर्ष की अगुवाई कर रही छात्रा अर्चिता भावनाओं में बह गईं और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि हमारे सामूहिक संघर्ष की जीत है। जब शासन और प्रशासन न्याय से मुंह मोड़ ले, तब आंदोलन ही आखिरी रास्ता बचता है। उम्मीद करती हूं कि भविष्य में किसी और को ऐसे अपमान का सामना न करना पड़े।”

अर्चिता ने चयन प्रक्रिया में की गई अनदेखी को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने बताया कि जब उनकी रैंक 15वीं थी, तब 18वीं रैंक वाले को वरीयता देना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अन्यायपूर्ण था। उन्होंने कहा कि यह बदलाव छात्रों की एकजुटता और जन समर्थन का ही परिणाम है, जिसने विश्वविद्यालय प्रशासन को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया।
BHU में छात्रों ने मनाया जश्न
जैसे ही पेमेंट लिंक की जानकारी मिली, छात्रों ने मिठाई बांटकर और ढोल-नगाड़ों की धुन पर नाचते हुए अपनी जीत का जश्न मनाया। यह जश्न सिर्फ एक चयन की नहीं, बल्कि व्यवस्था के खिलाफ उठे साहस की भी थी।

धरने के दौरान कई सामाजिक, छात्र और राजनीतिक संगठनों ने अर्चिता का खुलकर समर्थन किया। इस संघर्ष में साथ खड़े रहने वालों का नाम लेते हुए अर्चिता ने विशेष तौर पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, सांसद वीरेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह, करणी सेना के बीरु सिंह, बक्सर सांसद सुधाकर सिंह, बाराबंकी सांसद तनुज पुनिया, आरा सांसद सुदामा प्रसाद, पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह और सामाजिक कार्यकर्ता रिबू श्रीवास्तव का आभार व्यक्त किया।
इस निर्णायक क्षण में छात्र नेता राणा रोहित, अमन, वंदना, सुमन आनंद, पुनीत, शम्मी सिंह, सत्यवीर, अभिषेक सिंह और शिवांश जैसे कई युवा साथी धरनास्थल पर मौजूद रहे और अपनी एकता से संघर्ष को मजबूती दी।