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Home राज्य उत्तर प्रदेश वाराणसी

BHU Vishwanath Temple: काशी में स्थापित है भगवान शिव का सबसे ऊंचा मंदिर, द्रविड़ व नगर शैली में हुआ है निर्माण

by Abhishek Seth
July 29, 2024
in वाराणसी, स्पेशल स्टोरी
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BHU Vishwanath Temple
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BHU Vishwanath Temple: शिव की नगरी काशी में महादेव के असंख्य मंदिर हैं। यहां सावन में प्रत्येक मंदिरों में ज्योतिर्लिंगों और शिवलिंग का अपना महत्व है। सभी मंदिर अपने आप में विशेष हैं। अगर आप बनारस के रहने वाले हैं या फि‍र बाहर के रहने वाले हैं और कभी बनारस घूमने आए तो आपने काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर  के ठीक बीचो-बीच वि‍शाल वि‍श्‍वनाथ मंदि‍र को जरूर देखने जाएं।

भारत का ये सबसे वि‍शाल शि‍वमंदि‍र ना सि‍र्फ बनारस की शान है बल्‍कि‍ इसकी भव्‍य नक्‍काशी और आस-पास का वातावरण यहां आने वाले हर कि‍सी का मन मोह लेता है। पुरातन शहर काशी में देश का सबसे ऊंचा मन्दिर स्थापित है। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में स्थित काशी विश्वनाथ का मंदिर अपने भव्यता के लिए जाना जाता है। बीएचयू में स्थित इस मंदिर की ऊंचाई दिल्ली के कुतुब मीनार या यू कह ले कि सबसे बड़े शिव मंदिर में से एक है।

सनातन धर्म में यह भी कहा जाता है कि अगर आप मंदिर के शिखर का दर्शन कर लिए तो आपका दर्शन पूर्ण माना जाएगा। मंदिर से कई किलोमीटर दूर शहर के ज्यादातर छतों या ऊंचे जगहों से लोग इस मन्दिर के शिखर का दर्शन कर सकते है। 

BHU Vishwanath Temple

बीएचयू के काशी विश्वनाथ मंदिर के शिखर की ऊंचाई 252 फीट है। इस हिसाब से देखा जाए तो बनारस का ये मन्दिर देश का सबसे ऊंचा शिखर वाला मंदिर है। अयोध्या में बना राम मंदिर के शिखर की ऊंचाई भी इससे काफी कम है। अयोध्या में तैयार हुए भगवान राम मंदिर की प्रस्तावित ऊंचाई 161 फीट है। बीएचयू के प्रोफेसर विनय कुमार पांडे  ने बताया कि यूं तो देश का सबसे ऊंचा मंदिर मध्यप्रदेश के ओरछा में स्थित चतुर्भुज मंदिर के नाम है।

इस मंदिर की कुल ऊंचाई 344 फीट है लेकिन यही इसके शिखर की बात करें तो उसकी ऊंचाई 240 फीट है। जबकि बीएचयू के काशी विश्वनाथ मंदिर का शिखर 252 फीट ऊंचा है। इस लिहाज से ये मंदिर देश का सबसे ऊंचे शिखर वाला मंदिर है।

BHU Vishwanath Temple

काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर स्थित यह मंदिर द्रविण और नागर के साथ बेसर वास्तुशैली पर आधारित है। इस मन्दिर का निर्माण कई खंड में हुआ है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित संस्कृत विद्यार्थी विज्ञान संकल्प के प्रोफेसर और विश्वनाथ मंदिर के समन्वयक प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने बताया कि मार्च 1931 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के निवेदन के बाद तपस्वी स्वामी कृष्णम ने इसकी आधारशिला रखी थी।

स्वामी कृष्णम को मनाने में मालवीय जी को 4 साल लग गए। मंदिर का कुछ अधूरा रह गया था इसके बाद मालवीय जी का देहांत हो गया। मालवीय जी के देहांत के बाद उद्योगपति जुगल किशोर बिरला ने 1954 में इसके निर्माण का काम पूरा कराया। हालांकि उस वक्त भी मंदिर के शिखर का काम अधूरा था। उसके बाद 1962 में यह मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हुआ। यह मंदिर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के केंद्र में स्थापित है।

BHU Vishwanath Temple: सफ़ेद संगमरमर के पत्थरों से हुआ है निर्माण

यह पूरा मंदिर सफेद संगमरमर के पत्थरों से बना हुआ है और इसके शिखर पर 10 फीट ऊंचा कलश भी स्थापित है। वाराणसी आने वाले पर्यटकों के लिए ये मंदिर आकर्षण का केंद्र है। शाम के समय इस मन्दिर में रंग बिरंगी रोशनी इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देती है। बातचीत के दौरान प्रोफेसर विनय कुमार पांडे ने मंदिर को लेकर विस्तार से चर्चा किया और बताया कि सन् 1916 में बीएचयू की स्‍थापना के बाद से ही महामना मदन मोहन मालवीय के मन में परि‍सर के भीतर एक भव्‍य वि‍श्‍वनाथ मंदि‍र बनाने की योजना थी।

मालवीय जी इस मंदि‍र का शि‍लान्‍यास कि‍सी महान तपस्‍वी से ही कराना चाहते थे। कि‍सी सि‍द्ध योगी की तलाश में प्रयासरत मालवीय जी को स्‍वामी कृष्‍णम नामक महान तपस्‍वी के बारे में पता चला। स्‍वामी कृष्‍णाम देश-दुनि‍या से दूर हि‍मालय पर्वतमाला में गंगोत्री ग्‍लेशि‍यर से 150 कोस आगे काण्‍डकी नाम की गुफा में वर्षों से तप कर रहे थे। सन् 1927 में मालवीय जी ने सनातन धर्म महासभा के प्रधानमंत्री गोस्‍वामी गणेशदास जी को स्‍वामी कृष्‍णाम के पास भेजकर मंदि‍र का शि‍लान्‍यास करने का नि‍वेदन कि‍या।

BHU Vishwanath Temple

हमेशा साधना में लीन रहने वाले तपस्‍वी कृष्‍णाम स्‍वामी को मनाने में गोस्‍वामी गणेशदास जी को भी चार साल लग गए। आखि‍रकार 11 मार्च सन् 1931 को स्‍वामी कृष्‍णाम के हाथों मंदि‍र का शि‍लान्‍यास हुआ। इसके बाद मंदि‍र का नि‍र्माण कार्य शुरू हुआ। दुर्भाग्‍य से मंदि‍र का नि‍र्माण मालवीय जी के जीवन काल में पूरा ना हो सका। मालवीय जी के नि‍धन से पूर्व उद्योगपति‍ जुगलकि‍शोर बि‍रला ने उन्‍हें भरोसा दि‍लाया कि‍ हर हाल में बीएचयू परि‍सर के भीतर भव्‍य मंदि‍र का निर्माण होगा और इसके लि‍ए धन की कभी कोई कमी नहीं आएगी। सन 1954 तक शि‍खर को छोड़कर मंदि‍र का नि‍र्माण कार्य पूरा हो गया।

17 फरवरी सन् 1958 को महाशि‍वरात्रि‍ के दि‍न मंदि‍र के गर्भगृह में नर्मदेश्‍वर बाणलिंग की प्रति‍ष्‍ठा हुई और भगवान वि‍श्‍वनाथ की स्‍थापना इस मंदि‍र में हो गयी। मंदि‍र के शि‍खर का कार्य वर्ष 1966 में पूरा हुआ। मंदि‍र के शि‍खर पर सफेद संगमरमर लगाया गया और उनके ऊपर एक स्‍वर्ण कलश की स्‍थापना हुई। इस स्‍वर्णकलश की ऊंचाई 10 फि‍ट है, तो वहीं मंदि‍र के शि‍खर की ऊंचाई 250 फि‍ट है। यह मंदि‍र भारत का सबसे ऊंचा शि‍वमंदि‍र है।

उन्होंने आगे बताया कि हर दिन यहां पर दर्शनार्थियों का दर्शन करने के लिए भीड़ लगी रहती है परंतु सावन में यह भीड़ काफी बढ़ जाती है लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर बाबा का दर्शन पूजन करते हैं।

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