नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देशभर में जातिगत आंकड़ों (Caste Census) को संकलित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने का निर्णय लिया है। यह फैसला बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस वार्ता में जानकारी देते हुए कहा कि जाति आधारित गणना अब मूल जनगणना प्रक्रिया का हिस्सा होगी और इसे इसी वर्ष सितंबर से शुरू किए जाने की संभावना है।
सरकारी आकलन के अनुसार, पूरी जनगणना प्रक्रिया को पूरा होने में दो साल तक का समय लग सकता है, लिहाजा अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक सामने आ सकते हैं। गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में निर्धारित जनगणना स्थगित कर दी गई थी, जिससे देश में जनगणना का पारंपरिक चक्र बाधित हो गया। अब अगली जनगणना 2031 के बजाय 2035 में आयोजित की जाएगी।
लंबे समय से जाति जनगणना (Caste Census) की मांग कर रहे विपक्षी दल
जातिगत जनगणना की मांग को लेकर लंबे समय से कई विपक्षी दल मुखर रहे हैं। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (SP), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), बहुजन समाज पार्टी (BSP), बीजेडी और एनसीपी (शरद पवार गुट) जैसे दलों ने जाति आधारित गणना को सामाजिक न्याय की दिशा में एक अहम कदम बताया है। हालांकि तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने अब तक इस विषय पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है।

राहुल गांधी ने भी अमेरिका दौरे के दौरान जातिगत जनगणना का समर्थन किया था और इसे ‘भारत के सामाजिक ताने-बाने की सच्ची तस्वीर’ बताने वाला कदम कहा था।
बिहार ने सबसे पहले कराई थी जाति जनगणना (Caste Census)
एनडीए सरकार की ओर से पहले जातिगत जनगणना का विरोध किया जाता रहा है। भाजपा ने विपक्ष पर जातिगत विभाजन फैलाने का आरोप लगाते हुए इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया था। हालांकि, बिहार में भाजपा के समर्थन से ही राज्य सरकार ने अक्टूबर 2023 में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी किए थे, जिससे बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बन गया जिसने सार्वजनिक रूप से जाति आधारित आँकड़े जारी किए।
भाजपा ने कांग्रेस पर साधा निशाना
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि 1947 से आज तक कांग्रेस ने कभी जातिगत जनगणना नहीं कराई। उन्होंने याद दिलाया कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे पर मंत्रियों का एक समूह गठित किया था, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने न तो सर्वेक्षण कराया और न ही निर्णय लिया।
वैष्णव ने यह भी कहा कि “कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना को केवल राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया है। कुछ राज्यों में यह प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ पूरी की गई, लेकिन कई जगह इसे राजनीति से प्रेरित और संदेहास्पद ढंग से अंजाम दिया गया।”
सरकार की मंशा: सामाजिक समरसता और पारदर्शिता
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार चाहती है कि जातिगत आंकड़ों (Cast Census) को संकलित करने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, आधिकारिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने वाली हो। यही वजह है कि किसी अलग सर्वेक्षण के बजाय, इसे आधिकारिक जनगणना में ही शामिल किया गया है।