Cyber Crime: साइबर ठग ठगी के प्रतिदिन नए-नए पैतरे आजमा रहे हैं। जितनी तेजी से साइबर अपराधी मोबाइल और सोशल मीडिया के माध्यम से ये लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं, उतनी तेजी से इन्हें पकड़ना भी मुश्किल है। हालांकि इनसे बचाव का बस एक ही तरीका है। वह तरीका है – ‘जागरूकता’। साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, साइबर अपराध के प्रति हम जितने जागरूक होंगे, उतना ही हम इससे बाख पाएंगे।
ताजा मामला वाराणसी के सारनाथ साइबर क्राइम [Cyber Crime] थाने से है। जहां, साइबर ठगों ने 1973 बैच के आईआईटीयन बुजुर्ग को नौ लाख 35 हजार रुपए का चूना लगा दिया। ठगों ने अत्यंत चालाकी से बुजुर्ग को दवा का व्यापार करने के नाम पर पैसे हड़प लिए। इस संबंध में पीड़ित ने सारनाथ के साइबर क्राइम [Cyber Crime] थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
भुक्तभोगी पदम चंद अग्रवाल ने बताया कि वह आईआईटी – बीएचयू से वर्ष 1973 के स्नातक हैं। फेसबुक और व्हाट्सएप्प के माध्यम से सिलविया रिचर्ड नाम की एक युवती से उनकी दोस्ती हुई। बातचीत के क्रम में युवती ने एक मेडिकल कंपनी को दवा बनाने के लिए केमिकल एक्सपोर्ट करने का लालच दिया और 35 फीसदी मुनाफे की बात कही।
Cyber Crime: पैसा जमा कर ख़रीदा केमिकल, न मिला कोई कस्टमर
यह भी बताया कि केमिकल कहां से उठाना और कहां बेचना है, इस काम में वह मदद करेगी। सिलविया रिचर्ड की बातों पर भरोसा कर उन्होंने एक नई फर्म का रजिस्ट्रेशन कराया और व्यापार संबंधी अन्य औपचारिकताएं पूरी की। फिर केमिकल खरीदने के लिए सिलविया रिचर्ड द्वारा बताई गई मुंबई स्थित एक कंपनी के खाते में अपने तीन अकाउंट से नौ लाख 35 हजार रुपये ट्रांसफर किए।
पैसा जमा करने के बाद उस कंपनी की अनीता जैन ने उन्हें फोन कर केमिकल भेजा। फिर, सिलविया रिचर्ड ने बताया कि यूनाइटेड किंगडम से जॉन डेविड पूरा केमिकल खरीद लेंगे। जॉन डेविड से कई बार बात हुई और उसने कई बार बनारस आने का आश्वासन देकर पर्चेज ऑर्डर भी ई-मेल किया।
मगर, आज तक कोई उनका केमिकल खरीदने नहीं आया। पदम चंद अग्रवाल ने पुलिस को बताया कि जो नौ लाख 35 हजार रुपये गंवाए हैं, उसमें से आधी रकम अपने रिश्तेदारों से उधार ली थी। इस संबंध में साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर मोबाइल व खाता नंबरों और ई-मेल की मदद से प्रकरण की जांच की जा रही है।
15 दिनों में तीन आईआईटीयन साइबर क्राइम के शिकार
तकनीक के अच्छे जानकार माने जाने वाले आईआईटी-बीएचयू से जुड़े तीन लोग बीते 15 दिनों में साइबर क्राइम [Cyber Crime] के शिकार हो चुके हैं। पदम चंद अग्रवाल से पहले बीते 11 अक्तूबर को आईआईटी-बीएचयू से रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. तिलक राज मानखंड की तहरीर पर लंका थाने में मुकदमा दर्ज किया था।
डॉ. मानखंड एक स्पीड पोस्ट को ट्रैक करते समय एक अनजान मोबाइल नंबर पर कॉल कर 94 हजार रुपये गवां दिए थे। इसी तरह चार अक्तूबर को आईआईटी-बीएचयू की छात्रा आर्या भगत की तहरीर पर लंका थाने में मुकदमा दर्ज [Cyber Crime] किया गया था। आर्या भगत को उनके पिता के दोस्त बन कर एक जालसाज ने पांच हजार रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करा लिया था।