सोशल मीडिया पर आजकल Ghibli-Style AI-जनरेटेड इमेज बनाने और साझा करने का जबरदस्त क्रेज़ देखने को मिल रहा है। नेता, सेलिब्रिटी और आम लोग धड़ल्ले से अपनी एआई-निर्मित तस्वीरें फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर रहे हैं। ये ट्रेंड भले ही आकर्षक लग रहा हो, लेकिन इसके साथ कई साइबर सुरक्षा जोखिम भी जुड़े हुए हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप अपनी तस्वीरें किसी एआई प्लेटफॉर्म पर अपलोड करते हैं, तो वे कहां स्टोर होती हैं और उनका क्या उपयोग किया जाता है? साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट और एथिकल हैकर मृत्युंजय सिंह ने इस विषय पर अहम जानकारी साझा की है। आइए जानते हैं कि Ghibli-स्टाइल इमेज क्रिएशन कितना सुरक्षित है और इसके संभावित खतरे क्या हो सकते हैं।

Ghibli-Style AI क्रिएशन: लापरवाही पड़ सकती है भारी!
एथिकल हैकर मृत्युंजय सिंह के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी को हल्के में लेना खतरनाक साबित हो सकता है। किसी भी एआई प्लेटफॉर्म पर अपनी व्यक्तिगत तस्वीरें अपलोड करने से पहले सतर्क रहना बेहद जरूरी है।

पिछले कुछ वर्षों में कई मामलों में देखा गया है कि कैसे एआई आधारित कंपनियां बिना अनुमति के यूजर्स के डेटा का गलत इस्तेमाल करती हैं। Clearview AI नामक एक कंपनी पर सोशल मीडिया और न्यूज वेबसाइट्स से 3 अरब से अधिक तस्वीरें चुराने और उन्हें पुलिस और निजी कंपनियों को बेचने का आरोप लगा था।
इसके अलावा, मई 2024 में Outabox नामक एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी का डेटा लीक हो गया, जिसमें 10 लाख से अधिक लोगों के फेशियल स्कैन, ड्राइविंग लाइसेंस और पते ऑनलाइन सार्वजनिक हो गए। इस घटना के कारण हजारों लोग पहचान की चोरी (Identity Theft) और साइबर धोखाधड़ी का शिकार हुए।
आपकी तस्वीरों से कोई और कमा रहा है मुनाफा!
अगर आपको लगता है कि AI-जनरेटेड तस्वीरें सिर्फ मनोरंजन के लिए हैं, तो आपको दोबारा सोचने की जरूरत है। AI कंपनियां इन इमेज को अपने फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम को प्रशिक्षित करने के लिए इस्तेमाल करती हैं। Statista की रिपोर्ट के मुताबिक, फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का बाजार 2025 तक 5.73 बिलियन डॉलर और 2031 तक 14.55 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।

बड़ी टेक कंपनियों, जैसे कि मेटा (फेसबुक) और गूगल, पर पहले भी आरोप लग चुके हैं कि वे यूजर्स की तस्वीरों को अपने AI मॉडल्स को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल करती हैं। इसके अलावा, PimEyes जैसी वेबसाइटें किसी भी तस्वीर को अपलोड कर उस व्यक्ति की पूरी डिजिटल पहचान (Digital Footprint) ट्रैक कर सकती हैं।
इससे स्टॉकिंग, ब्लैकमेलिंग और साइबर अपराध जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ सकती हैं।
डिजिटल सुरक्षा के लिए सतर्क रहना जरूरी
साइबर एक्सपर्ट मृत्युंजय सिंह का कहना है कि एआई टेक्नोलॉजी ने हमारी जिंदगी को आसान जरूर बनाया है, लेकिन इसके संभावित खतरों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। डेटा लीक, पहचान की चोरी और साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए खुद को जागरूक और सतर्क रखना जरूरी है।
असल सवाल यह नहीं है कि एआई हमारे लिए कितना फायदेमंद है, बल्कि यह है कि हम इसका इस्तेमाल कितनी समझदारी से कर रहे हैं। अगली बार जब आप किसी AI प्लेटफॉर्म पर अपनी तस्वीर अपलोड करने जा रहे हों, तो एक बार सोचें—कहीं यह आपके लिए सबसे बड़ा साइबर खतरा तो नहीं बन सकता?
HIghlights
ऐसे रखें अपनी डिजिटल पहचान सुरक्षित
अगर आप अपनी साइबर सुरक्षा और प्राइवेसी को बनाए रखना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सावधानियों का पालन करें:
- AI ऐप्स पर अपनी व्यक्तिगत तस्वीरें अपलोड करने से बचें।
- सोशल मीडिया पर हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें साझा करने में सतर्कता बरतें।
- फेस अनलॉक की जगह मजबूत पासवर्ड या पिन का उपयोग करें।
- किसी भी अनजान ऐप को कैमरा और गैलरी का एक्सेस देने से पहले उसकी प्राइवेसी पॉलिसी जरूर पढ़ें।
- सरकार और टेक कंपनियों से एआई और फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग पर सख्त कानून बनाने की मांग करें।