बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के जल एवं विद्युत आपूर्ति विभाग (EWSS) को पुनः स्वतंत्र विभाग बनाने की मांग तेज हो गई है। वर्षों से इस विभाग के द्वारा विश्वविद्यालय को जल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएँ निश्चित रूप में उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन हाल के दिनों में प्रशासनिक पुनर्गठन के बाद विभाग की स्वायत्तता समाप्त कर दी गई, जिससे कर्मचारियों और हितधारकों में गहरा असंतोष है।
EWSS ने दशकों से BHU परिसर की जीवनरेखा के रूप में कार्य किया है। विश्वविद्यालय के सभी संकायों, छात्रावासों, अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में जल एवं विद्युत की निर्बाध आपूर्ति इसी विभाग की मेहनत और प्रतिबद्धता का परिणाम रही है। विभाग ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि किसी आपातकालीन स्थिति में भी आवश्यक सेवाओं में बाधा न आए।
हाल ही में प्रशासनिक ढांचे में किए गए बदलावों के कारण विभाग को अन्य इकाइयों के अधीन कर दिया गया है। कर्मचारियों और तकनीकी अधिकारियों का कहना है कि इससे निर्णय लेने की गति धीमी हो गई है, जवाबदेही कमज़ोर हुई है और कार्यकुशलता प्रभावित हो रही है। यह बदलाव, उनके अनुसार, विभाग के ऐतिहासिक महत्व और उसकी विशेषज्ञता के साथ अन्याय है।
BHU: क्यों आवश्यक है विभाग की पुनः स्वतंत्रता
- दक्षता और त्वरित निर्णय: स्वतंत्र विभाग के रूप में EWSS बिना किसी नौकरशाही विलंब के त्वरित निर्णय ले सकता है, जिससे आपूर्ति व्यवस्था में सुधार होगा।
- गुणवत्ता और निरंतरता: जल और बिजली जैसी सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विशेषज्ञों द्वारा संचालित स्वायत्त इकाई आवश्यक है।
- जनहित और पारदर्शिता: विभाग की स्वतंत्रता से BHU समुदाय— छात्रों, शिक्षकों और अस्पतालों—को निर्बाध और विश्वसनीय सेवाएं मिलती रहेंगी।
कर्मचारियों और विश्वविद्यालय समुदाय के सदस्यों ने प्रशासन से अपील की है कि EWSS के योगदान को मान्यता देते हुए इसे पुनः स्वतंत्र विभाग का दर्जा प्रदान किया जाए। उनका कहना है कि यह न केवल विभाग की कार्यकुशलता को पुनर्जीवित करेगा बल्कि विश्वविद्यालय के हित में भी एक दूरदर्शी कदम सिद्ध होगा।
सभी की यही मांग है कि “जल और विद्युत आपूर्ति विभाग को उसकी पुरानी पहचान लौटाई जाए, ताकि वह फिर से उसी समर्पण और स्वायत्तता के साथ BHU की सेवा कर सके।”