Dev Deepawali 2024: ज्योति पर्व दीपावली के बाद शहरवासियों को ही नहीं विभिन्न प्रांतों और विदेश के लोगों को देव दीपावली का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस अलौकिक छटा का निहारने के लिए लाखों देशी-विदेशी पर्यटक काशी पहुंचते हैं। कारोबारियों को भी इस दिन का खास इंतजार होता है। यहीं वजह है कि अब तो देव दीपावली बाजार बनारस का ब्रांड बन चुका है। अनुभवों के आधार पर विभिन्न सेक्टर के थोक एवं फुटकर व्यापारियों ने बताया कि तेल, दिया व बाती ही नहीं, विभिन्न मार्केट में सिर्फ एक दिन में अरबों रुपये का कारोबार हो जाता है। अच्छी-खासी बिक्री की आस को इसको देखते हुए इसकी तैयारी काफी पहले से कारोबारी कर लेते हैं।
प्रकाश पर्व दीपावली के बाद कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर आयोजित होने वाली देव दीपावली अब लक्खा मेले में शुमार हो चुका है। इस साल यह आयोजन 15 नवम्बर को होगा। इस खास दिन का देश-विदेश के पर्यटकों को खासा इंतजार रहता है। देव दीपावली का लक्खा पर्व सूर्यास्त होते ही शुरू हो जाता है। यह लक्खा मेला शहर से निकल कर अब गांव-गिरांव तक पहुंच चुका है। बात गंगा किनारे के सभी घाटों की करें तो करीब आठ किलीमीटर लंबे नदी के किनारे दीयों की असंख्य लड़ियां ऐसी झिलमिलाती है, मानों आकाश से उतरकर तारे जमीं पर आकर लहरों से अठखेलियां कर रहे हैं।

इस अलौकिक छटा को निहारने और कैमरे में कैद करने के लिए काफी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहां आते हैं। जाहिर सी बात है, पर्यटक आयेंगे तो काशी के लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठायेंगे और दिलों में यहां की यादों को सहेजने के लिए खरीदारी भी करेंगे। इसको लेकर देव दीपावली का बाजार सज चुका है। देव दीपावली बाजार पर गहरी नजर रखने वालों की मानें तो अब तो सभी तरह का मार्केट चल निकला है। लिहाजा, अबकी करीब 20 अरब तक का व्यापार होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
मझे हुए कारोबारियों की माने तो धनतेरस बाजार में अरबों रुपये के हुए व्यापार के बाद देव दीपावली बाजार पर व्यापारियों की निगाह टिकी है। देशी-विदेशी पर्यटकों के इस लक्खा पर्व के प्रति लगातार बढ़ते आकर्षण के चलते व्यापारियों को इस बार भी देव दीपावली पर बेहतर कारोबार की उम्मीद जगी है। वजह, रोशनी के महाकुंभ की छटा निहारने को यहां आने वाले यादें संजोने के लिए कुछ-न-कुछ खरीदारी भी करते हैं।
आदि केशव घाट, नमो घाट से लेकर रविदास घाट की सीढ़ियों से गंगा की लहरों तक जगमग दीयों की सतरंगी छटा, आतिशी नजारों के बीच आसमान से झरती गुलाब की पंखुड़ियों को निहारने के लिए विश्व पटल पर भारी होड़ रहती है। तमाम बड़ी कंपनियां भी इसमें शिरकत करती है। देव दीपावली पर उमड़ने वाली भीड़ के चलते रिक्शा, आटो, ई-रिक्शों वालों की भी चांदी कटती है। ट्रैवेल्स की गाड़ियां हाउसफुल होने के कारण लोग रिक्शा, ई-रिक्शा और आटो की सवारी करने से परहेज नहीं करते। परम्परागत रिक्शा की सवारी का लुत्फ कुछ अलग अंदाज ही लिये होता है। रिक्शा, ई-रिक्शा और आटो वाले भी अपने-अपने वाहन को इस दिन सजाने-संवारने से पीछे नहीं रहते। देव दीपावली का यह लक्खा मेला अब कुंडों, सरोवरों एवं गली-कूचों से निकल कर गांवों के तालाब-सरोवरों तक फैल चुका है।

Dev Deepawali 2024: ठेलों और दुकानों पर भी उमड़ते हैं स्वाद के रसिया
समूचा बनारस देव दीपावली के दिन दीयो की रोशनी से जगमगाता है। पर्यटक चाहे स्थानीय हो या फिर बाहरी। उनके आवाभगत के लिए स्थायी खान-पान की दुकानों के अलावा अस्थायी दुकानें भी खुल जाती है। गंगा घाटों पर शाम की बेला में मेले जैसा दृश्य होता है। गैर प्रांतों के पर्यटक हो या विदेशी। यहां आने पर प्रचलित बनारसी सामग्रियां खरीदना नहीं भूलते। बनारसी चाट हो या फिर कांटीनेंटल। हर तरह के डिश पयर्टकों के सामने परोसे जाते हैं।
अलौकिक दृश्य देखने के बाद होटलों, रेस्टोरेंटों में ही नहीं ठेलों और दुकानों पर स्वाद के रसियों का हुजूम उमड़ पड़ता है। बनारसी परिधानों की भी बिक्री जमकर होती है। ऐसे में कारोबारी काफी उत्साहित है। पूर्व के अनुभवों के आधार पर कारोबारियों का कहना है कि देव दीपावली के बाजार का रंग साल-दर-साल काफी चटक होता जा रहा है। सभी सेक्टरों के साथ प्रधानमंत्री की वोकल फार लोकल की अपील के चलते स्थानीय उत्पादों की बिक्री में जबरदस्त उछाल देखने को मिलेगा।
नाव से लेकर होटल तक हाउसफुल
देव दीपावली बाजार पर गहरी नजर रखने वालों की माने तो बात चाहे नौका विहार की हो या गंगा तट किनारे से लगायत शहर में स्थित होटल, रेस्टोरेंट या लॉज की। सभी हाउसफुल है। नाव की बात छोड़िए जनाब, श्मशान घाट के लिए लकड़िया ढोने वाले मालवाहन मोटरवोट तक इस दिन के लिए बुक हो चुके हैं। मुंहमांगी रकम देने के बाजवूद होटलों, रेस्टोरेंटों एवं लॉजों में जगह नहीं मिल रहा।

सिर्फ गंगा तट किनारे के होटल ही नहीं बल्कि शहर के समस्त छोटे-बड़े होटल में उस दिन ढूढ़ें से कमरा नहीं मिल रहा है। सभी जगह एडवांस बुकिंग हो चुकी है। तमाम बड़ी कंपनियों ने भी अपने आला अफसरान एवं उनके परिजनों को देव दीपावली का नजारा दिखाने के लिए इसकी तैयारी पूरी कर ली है। पिछले सालों के अनुभवों के आधार पर कारोबारियों का कहना है कि देव दीपावली का बाजार सालाना 15-20 प्रतिशत ग्रोथ कर रहा है।
अधिकतर सैलानियों ने करा ली है बुकिंग
देव दीपावली के इस महाकुंभ में शामिल होने के लिए स्पेन, इटली, अमेरिका, इंग्लैंड, थाइलैंड, कोरिया, श्रीलंका, जर्मनी, रसिया, ब्राजील, ब्रिटेन आदि देशों से आने वाले पर्यटकों ने अपनी बुकिंग करा ली है। साथ ही देशी पर्यटकों का आगमन काफी संख्या में होने अनुमान लगाया जा रहा है। ट्रैवेल्स एजेंसियों की माने तो सैलानियों की संख्या का करीब 98 प्रतिशत देशी होने का अनुमान लगाया रहा है।

बाजवूद इसके, शहर के समस्त छोटे-बड़े होटल, गेस्ट हाउस, लॉज सब फुल हो चुके हैं। यहां तक की धर्मशालाओं में भी जगह नहीं बची है। काफी संख्या में लोग अपने-अपने रिश्तेदारों के यहां भी पधार रहे हैं, जिन्होंने वाहनों की बुकिंग करा ली है। यहीं कारण है कि ट्रैवेल्स की गाड़ियों और टैक्सी आदि की बुकिंग भी फुल है। मोटर बोट, बजड़ों, नावों और कू्रज तो हाउसफुल चल रहे हैं। आसपास के जिलों की नावें भी लगभग बुक हो चुकी है।
हर जगह हाउसफुल का बोर्ड
देव दीपावली का विहंगम नजारा देखने के लिए देश भर ही नहीं विदेशी सैलानियों में गजब का उत्साह है। यही कारण है कि इस बार होटल व लाज सब बुक हो चुक हैं। लॉज और गेस्ट हाउस में भी 4000 से 5000 हजार रुपये किराया देने पर भी रूम नहीं मिल पा रहे हैं। चूंकि गेस्ट हाउस, लॉज की बुकिंग भी आॅनलाइन होने से फुल का बोर्ड टंग चुका है। देव दीपावली के आकर्षण का आलम यह है कि एक तरफ जहां सारे होटल, गेस्ट हाउस, लाज और धर्मशाला उस दिन के लिए बुक हो गए हैं, तो दूसरी तरफ बजड़े और नाव क्या अब एक डोंगी (छोटी नाव) तक भी मिलनी अब मुश्किल है।

Highlights
इन आइटमों के बाजारों में उमड़ते हैं सैलानी
वुलेन कपड़े, होम फर्नीशिंग, मीठी सुपाड़ी, स्टोन उत्पाद, सजावटी सामान, लकड़ी के खिलौने, आर्टिफिशल माला, पीतल बर्तन व मूर्तियां, स्टोन की मूर्तियां व अन्य उत्पाद, गंगा आरती के कैसेट, बनारसी साड़ी, बनारसी परिधान, रूद्राक्ष-स्टफिक व मोती की मालाएं, बनारसी मिठाइयां, पूजन सामग्री व इससे जुटे बर्तन, विविध प्रकार की मूर्तियां, श्री काशी विश्वनाथ बाबा धाम का मॉडल, गिफ्ट आइटम, तैयार परिधान, ड्राई फूट्स, आर्टिफिशिल ज्वेलरी, मोम, मोमबत्ती, दीया-बाती, सरसों तेल, मिट्टी दीया, आतिशबाजी, माला-फूल आदि। इसके अलावा फास्ट फूड, बनारसी चाट, बनारसी कचौड़ी-जलेबी के अलावा तरह-तरह के लजीज व्यंजनों वाले प्रतिष्ठान भी स्वाद के रसिया पहुंचने से नहीं चूकते।
- जितेन्द्र श्रीवास्तव
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