Varanasi: वाराणसी साइबर क्राइम पुलिस ने 98 लाख रुपये की साइबर ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय चीनी गैंग के मास्टरमाइंड निजाम अहमद उर्फ प्रॉक्सी को गिरफ्तार कर लिया। गैंग फर्जी ट्राई और सीबीआई अधिकारी बनकर डिजिटल हाउस अरेस्टिंग का सहारा लेकर लोगों को ठगता था। यह जानकारी एडीसीपी साइबर क्राइम श्रुति श्रीवास्तव और एसीपी चेतगंज गौरव कुमार ने गुरुवार को दी।
ठगी का तरीका
गैंग के सदस्य पीड़ितों को फर्जी ट्राई या सीबीआई अधिकारी बनकर कॉल करते थे। वे दावा करते थे कि पीड़ित के नाम पर फर्जी सिम कार्ड जारी किए गए हैं, जो अवैध गतिविधियों में शामिल हैं। इसके बाद, डिजिटल हाउस अरेस्टिंग का झांसा देकर पीड़ितों से तथाकथित आरबीआई खातों में पैसे ट्रांसफर करवा लिए जाते थे।
इस ठगी के लिए गैंग फर्जी गेमिंग ऐप्स, ईसीएस और ईआईपी सेवाओं का उपयोग करता था। साथ ही, ओटीपी और डिजिटल जानकारी चुराने के लिए ड्रैगन एसएमएस जैसी ऐप्स का सहारा लिया जाता था। अपनी पहचान छुपाने के लिए ये अपराधी वर्चुअल मशीनों का इस्तेमाल करते थे।
Varanasi:मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी
सारनाथ निवासी अनुज कुमार यादव ने इस ठगी की शिकायत की थी। उनके साथ 98 लाख रुपये की धोखाधड़ी हुई थी। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और डीसीपी क्राइम प्रमोद कुमार के निर्देश पर गठित टीम ने गैंग के मास्टरमाइंड निजाम अहमद को गिरफ्तार किया।
निजाम अपने नेटवर्क में तीन से चार लेयर के एजेंट्स रखता था। ये एजेंट्स फर्जी बैंक खाते खोलने, इंटरनेट बैंकिंग की सेटिंग करने और पीड़ितों को भ्रमित करने का काम करते थे।
बरामदगी और आगे की कार्रवाई
गिरफ्तार आरोपी के पास से मोबाइल फोन और नकदी बरामद हुई है। इस मामले में पहले भी 11 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। ये सभी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से जुड़े हैं।
पुलिस टीम की सराहना
साइबर क्राइम थाना वाराणसी के निरीक्षक विजय कुमार यादव और उनकी टीम ने इस मामले के खुलासे में अहम भूमिका निभाई। टीम में उपनिरीक्षक संजीव कन्नौजिया, सतीश सिंह, और अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे।
Highlights
पुलिस ने बताया कि गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है। इस केस में बरामद उपकरणों और डिजिटल ट्रांजैक्शन्स का फॉरेंसिक विश्लेषण किया जा रहा है।