मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मंदिर में मर्यादित कपड़े पहनकर आएं। मंदिर प्रबंधन ने इस संबंध में गेट नंबर-3 के प्रवेश द्वार सहित कई स्थानों पर बैनर लगाए हैं। इन बैनरों पर लिखा गया है कि श्रद्धालु छोटे कपड़े, हॉफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट और कटी-फटी जींस पहनकर मंदिर न आएं।
धार्मिक स्थल को पर्यटन स्थल न बनाएं
मंदिर प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि यह एक धर्मस्थल है, पर्यटन स्थल नहीं। श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि वे साड़ी, सूट, पैंट-शर्ट जैसे मर्यादित कपड़े पहनकर ही मंदिर आएं। इसके अलावा, चमड़े की बेल्ट न पहनने की भी अपील की गई है।
मर्यादा बनाए रखने की पहल
मंदिर के प्रबंधक मुनिश कुमार ने कहा कि यह कदम मंदिर की मर्यादा बनाए रखने और श्रद्धालुओं को धार्मिक भावना का अनुभव कराने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा, “जब आप किसी धर्म स्थल पर जाते हैं, तो वहां की मर्यादा का पालन करना जरूरी है। यह पर्यटक स्थल नहीं, बल्कि एक पवित्र धार्मिक स्थान है।”
अन्य मंदिरों में भी हुई थी ऐसी पहल
इससे पहले वृंदावन के राधा दामोदर मंदिर और बरसाना के राधा रानी मंदिर जैसे ब्रज के अन्य मंदिरों में भी श्रद्धालुओं से अमर्यादित कपड़े न पहनने की अपील की गई थी। हालांकि, श्रद्धालुओं पर इस अपील का ज्यादा असर नहीं देखा गया।
भीड़ नियंत्रित करने का प्रयास
मंदिर प्रबंधन ने यह भी कहा कि इस पहल का उद्देश्य केवल मर्यादा बनाए रखना नहीं, बल्कि भीड़ को नियंत्रित करना भी है। साल के अंतिम दिनों में मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है। खासतौर पर 25 दिसंबर से 5 जनवरी के बीच भारी भीड़ उमड़ती है।
प्रबंधन ने बुजुर्ग, दिव्यांग, बच्चे और बीमार व्यक्तियों से अपील की है कि वे इन दिनों में मंदिर आने से बचें। पिछले साल भीड़ के कारण कुंज गलियों में इतनी जगह नहीं बची कि लोग सहजता से चल सकें।
स्थानीय निवासियों को भी होती है परेशानी
भारी भीड़ के चलते स्थानीय निवासियों को घरों में कैद होना पड़ता है। हर वीकेंड पर दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा से हजारों भक्त वृंदावन आते हैं। इस दौरान पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है।
श्रद्धालुओं से सहयोग की अपील
मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे इस ड्रेस कोड का पालन करें और अन्य भक्तों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करें। यह कदम न केवल मंदिर की गरिमा बनाए रखने में मदद करेगा, बल्कि सभी को एक शांतिपूर्ण और धार्मिक अनुभव प्रदान करेगा।
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