विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (S Jaishankar) रविवार को वाराणसी पहुंचे, जहां उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में चल रहे काशी तमिल संगमम के अकादमिक सत्र में शिरकत की। इस सत्र का मुख्य विषय “परंपरा, प्रौद्योगिकी और विश्व” रहा। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में 45 देशों के राजदूतों ने भी भाग लिया और एकता व अखंडता पर अपने विचार साझा किए।
इस दौरान अपने संबोधन में एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा, “भारत की मूल भावना में एकता निहित है। यहां अनेक संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का संगम देखने को मिलता है, लेकिन विविधताओं के बावजूद सब एकजुट हैं। यही भारत की ताकत है, जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करती है।”
काशी पूरे भारत के लिए सांस्कृतिक चुंबक- S Jaishankar
विदेश मंत्री ने काशी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है और पूरे भारत के लिए एक सांस्कृतिक चुंबक की तरह काम करता है, जो सबको अपनी ओर आकर्षित करता है।
इस अवसर पर विभिन्न देशों से आए राजदूतों ने भारतीय एकता और संस्कृति के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की और अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। तमिलनाडु से आए मेहमानों ने भी विदेश मंत्री (S Jaishankar) से संवाद किया और अपने मन की शंकाओं को दूर किया।
एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने इस संगमम को PM नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता का परिणाम बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य भारत को संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के सजीव संगम के रूप में स्थापित करना है। काशी तमिल संगमम ने एक बार फिर इस संदेश को सशक्त किया कि भारत की सांस्कृतिक विविधता ही उसकी असली पहचान और ताकत है।