Rajiv Gandhi Jayanti : 20 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्मदिन मनाया जाता है। आज भारत रत्न स्व. राजीव गाँधी की 79वीं जयंती (Rajiv Gandhi Jayanti) है और पूरा देश उनके यादों को समेटे ख़ुशी संग आँखों में नमी लेकर उनकी जयंती मनाता है। वहीं इस दिन को भारत में सद्भावना दिवस के रुप में भी जाना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर सोनिया गांधी तक ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके राजीव गाँधी (Rajiv Gandhi Jayanti) को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित दी।
जैसा कि आप सभी को पता है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भारत देश को एक न्य प्रधानमंत्री मिला जो कि राजीव गांधी रहें। जहाँ एक ओर भारत रत्न स्व. राजीव गांधी से भारतियों को काफी उम्मीदें थी वहीं दूसरी ओर राजीव गाँधी (Rajiv Gandhi Jayanti) भी लोगों की उम्मीदों पर काफी हद तक खरे उतरे। राजीव गांधी ने कई ऐसे कार्य अपने कार्यकाल में किए, जिसने देश की तस्वीर क्या देश की तकदीर तक बदल डाली।

बात चाहे उस समय की करें जब राजीव गाँधी चुनाव जीते न हो या तब की करें जब वह चुनाव जीतकर वह देश के भावी प्रधानमंत्री बने, राजीव गांधी (Rajiv Gandhi Jayanti) हमेशा 21वीं सदी में देश की तरक्की का ही जिक्र करते थे। जनता के प्यार और सम्मान के साथ उन्होंने अपनी नीतियों में खूब सफलता पायी और अपनी बेहतरीन रणनीतियों के साथ टेक्नोलॉजी के सहारे देश में न जाने कितने बदलाव कर दिए।

उनका मन्ना था कि देश को आगे बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी बेहद आवश्यक है इसीलिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi Jayanti) ने टेलीकॉम और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर्स में खूब काम करवाया। यही कारन है कि तकनीक क्रांति के बीज बोने का श्रेय भी राजीव गांधी को दिया जाता है।
राजीव गांधी की सरकार ने देश में पूरी तरह असेंबल किए हुए मदरबोर्ड और प्रोसेसर लाने की अनुमति दी थी। सरकार के इस फैसले के कारण देश में कम्प्यूटर सस्ते हुए। राजीव गांधी (Rajiv Gandhi Jayanti) के प्रयास से ही नारायण मूर्ति और अजीम प्रेमजी जैसे लोगों को विश्वस्तरीय आईटी कंपनियां खोलने की प्रेरणा मिली। इसके अलाव टेलीकॉम सेक्टर में भी राजीव गांधी ने क्रांति लाई थी।

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi Jayanti) ने दिसंबर 1988 में चीन की यात्रा की थी। राजीव गांधी के इस दौरे से भारत और चीन के बीच संबंध सामान्य होने में काफी मदद भी मिली। सीमा विवादों के लिए चीन के साथ मिलकर बनाई गई ज्वाइंट वर्किंग कमेटी शांति की दिशा में यह एक ठोस कदम थी। ऐसा कहा जाता है कि चीनी प्रीमियर डेंग शियोपिंग के साथ राजीव गांधी की खूब बनती थी।
Rajiv Gandhi Jayanti : कई ऐसे कार्य जिनकी आज भी होती है चर्चा

चीन दौरे के दौरान राजीव गांधी (Rajiv Gandhi Jayanti) ने डेंग से करीब 90 मिनट तक मुलाकात की और इस दौरान डेंग ने राजीव गांधी से कहा था कि तुम युवा हो और देश का भविष्य हो। इसके अलावा राजीव गांधी ने कुछ अन्य कार्य ऐसे किए जैसे कि मतदाताओं की उम्र सीमा घटना, पंचायती राज के लिए संघर्ष, अर्थव्यवस्था के सेक्टर्स को खोलना और ईवीएम मशीनों की शुरुआत करना आदि जिनकी चर्चाएं आज भी देश में होती है।
Rajiv Gandhi Jayanti : राजीव गाँधी के जीवन से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें
राजीव गांधी (1944–1991) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारत के छठे प्रधानमंत्री थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे और 1984 से 1989 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहे। निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण बातें उनके जीवन और राजनीतिक करियर के बारे में हैं:
प्रारंभिक जीवन: राजीव गांधी (Rajiv Gandhi Jayanti) का जन्म 20 अगस्त 1944 को बॉम्बे (अब मुंबई) में हुआ था। वे इंदिरा गांधी के बड़े बेटे थे, जिन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री भी की पद की थी, और फीरोज़ गांधी।
राजनीति में प्रवेश: राजीव गांधी ने पहले राजनीति में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया था। उन्होंने एक वाणिज्यिक पायलट की करियर की थी, लेकिन उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया अपने छोटे भाई संजय गांधी की दुर्घटना के बाद, जो की राजनीति में सक्रिय थे। राजीव को उनकी मां इंदिरा गांधी ने भारतीय कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

प्रधानमंत्री पदकाल: राजीव गांधी 1984 में अपनी मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भारतीय प्रधानमंत्री बने। उन्होंने इस हत्या के बाद हुई सामान्य चुनावों में कांग्रेस पार्टी को बड़ी जीत दिलाई। उनकी प्रधानमंत्री पदकाल की अवधि में उन्होंने तकनीकी और आर्थिक सुधार की दिशा में कई कदम उठाए।
आर्थिक सुधार और आधुनिकीकरण: राजीव गांधी ने आर्थिक और तकनीकी सुधारों की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य था भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण करना और प्रौद्योगिकी उन्नति को बढ़ावा देना। उन्होंने देश में दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को विस्तारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विदेशी नीति: अपनी पदकाल में, राजीव गांधी ने संतुलित विदेशी नीति का पालन किया। उन्होंने देश के पड़ोसी देशों के साथ संबंध में सुधार करने और वैश्विक मुद्दों पर गैर-पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण बनाए रखने पर ध्यान दिया।
बोफोर्स स्कैंडल: अपनी अर्थव्यवस्था को मोड़ने के बावजूद, राजीव गांधी की प्रतिष्ठा बोफोर्स आर्टिलरी सौदे से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों से कलंकित हुई थी। यह स्कैंडल उनके राजनीतिक मान-स्थान पर बड़ा प्रभाव डाला।

1989 के चुनाव में हार: 1989 के सामान्य चुनावों में, राजीव गांधी द्वारा नेतृत्व की गई कांग्रेस पार्टी ने संसद में अपनी बहुमत की हानि की, जिससे की सांघटक सरकार बननी। यह उनके पहले प्रधानमंत्री के कार्यकाल का अंत किया।
राजनीति में वापसी और हत्या: राजीव गांधी ने 1991 में भारतीय कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में फिर से प्रशासन किया। हालांकि, उनकी राजनीतिक वापसी को एक खेदजनक घटना ने अचानक खत्म कर दिया, जब उन्हें 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदुर में एक चुनाव प्रचार रैली के दौरान ही एक स्वयंग्रही बमवादी द्वारा हत्या कर दी गई। इस हत्या की जिम्मेदार तमिल ईलम के स्वतंत्रता सेनानियों (LTTE) से जुड़े थे।
राजीव गांधी की विरासत एक मिश्रित है। उन्हें भारत को आधुनिकीकरण करने और प्रौद्योगिकी उन्नति को प्रोत्साहित करने के प्रयासों के लिए याद किया जाता है, लेकिन उनकी राजनीतिक करियर भ्रष्टाचार के आरोपों और विवादों से भी छिपी रही। उनकी असमय मृत्यु भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण हानि थी।