- G-20 मुख्य कृषि वैज्ञानिकों की तीन दिवसीय बैठक का जनरल (रिटायर्ड)वी के सिंह ने किया उद्घाटन
- काशी दुनिया के समक्ष रख रही पोषण, खाद्य सुरक्षा, जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ाने का प्रस्ताव
- सम्मेलन में डब्ल्युएचओ व वैश्विक व्यापार संगठन सहित कृषि के क्षेत्र में काम करने वाली कई संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल
वाराणसी। भारत की जी-20 अध्यक्षता के अंतर्गत विभिन्न कार्य समूहों की 100वीं बैठक सोमवार को नदेसर स्थित एक तारांकित होटल में शुरू हुई, केंद्रीय सडक परिवहन और राजमार्ग तथा नागर विमानन राज्य मंत्री डॉ. वी. के. सिंह ने मुख्य कृषि वैज्ञानिकों की बैठक का उद्घाटन किया। सभी देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए राज्य मंत्री डॉ. वी. के. सिंह कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रस्ताव के आधार पर 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया है, इससे बाजरा के फायदों को दुनिया के सामने लाने में मदद मिल रही है, बाजरा दुनिया भर के 130 से अधिक देशों में उगाया जाता है, और अधिकतम उत्पादन अफ्रीका में होता है। बाजरा जलवायु परिवर्तन के अनुकूल और पोषण से भरपूर हैं, जो जलवायु परिवर्तन के इस कठिन समय और महामारी के बाद की स्थिति में सुधार की उनकी आवश्यकता को उजागर करते हैं। भारत इसे एक जन आंदोलन बना दिया है, और सभी जी-20 के सभी देशों से इस कदम के समर्थन पर एकजुट होना होगा।
उन्होंने कहा कि यह अत्यंत गौरव की बात है कि जी-20 की 100वीं बैठक भारत के प्राचीन व जीवंत शहर काशी में हो रही है। कहा कि भारत की जी 20 प्रेसीडेंसी थीम ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ एसडीजी और एमएसीएस की थीम, स्वस्थ लोगों और पौधों के लिए सतत कृषि और खाद्य प्रणाली को प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों को दशार्ती है।

पोषण के लिए बायो-फोर्टिफाइड बेहतर उपाय
जी-20 की बैठक में सभी देशों व आमंत्रित देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए को संबोधित करते हुए केंद्रीय सडक परिवहन और राजमार्ग तथा नागर विमानन राज्य मंत्री डॉ. वी. के. सिंह ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार और पोषण संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए बायो-फोर्टिफाइड फसल बेहतर उपाय है। भारत में पांच मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र विभिन्न फसलों की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों के अधीन है।
डिजिटल तकनीक से कृषि को बढ़ाने पर जोर
उन्होंने कहा कि उभरती डिजिटल तकनीकों का उपयोग जी20 देशों और दुनिया भर में खेती को आसान बनाने के लिए किया जाना चाहिए। इस बात पर भी जोर दिया कि फसलों, बागवानी, पशुधन, मत्स्य पालन, मिट्टी और जल विशेषज्ञता/कृषि मशीनरी के क्षेत्र में विशेषज्ञता के साथ आईसीएआर संस्थानों और केवीके की अखिल भारतीय उपस्थिति और किसानों की पहुंच का उपयोग पौधों, जानवरों, मनुष्य और आईसीटी इंटरफेस प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। जी-20 देशों को स्थायी प्रथाओं के विविध क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए जो फसल उत्पादन प्रणालियों के विविधीकरण, जल संसाधनों और उर्वरकों के कुशल उपयोग, बागवानी प्रथाओं को आत्मसात करने, मिट्टी, स्वास्थ्य प्रबंधन और उसके बाद के कार्यों को बढ़ावा देते है।

बैठक में अन्य विषयों पर भी चर्चा
बैठक में कृषि-खाद्य प्रणाली परिवर्तन के लिए नवाचार और तकनीकी हस्तक्षेप, खाद्य सुरक्षा और पोषण प्राप्त करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में फ्रंटियर्स, पोषण मूल्य बढ़ाने के लिए खाद्य फसलों में बायोफोर्टिफिकेशन, पोषण और नीले विकास के लिए उष्णकटिबंधीय समुद्री शैवाल की खेती, बाजरा और अन्य पर चर्चा हुई। डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डीएआरई) और महानिदेशक (आईसीएआर) और एमएसीएस, अध्यक्ष ने भी बैठक का नेतृत्व किया। इसकेसाथ ही संजय गर्ग, अतिरिक्त सचिव (डीएआरई) और सचिव (आईसीएआर) ने बैठक के प्रतिनिधियों और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया।