Gadar-2 Movie Review: 22 वर्षों का इंतज़ार ख़त्म हुआ। सनी देओल की मोस्ट अवेटेड फिल्म गदर-2 शुक्रवार को रिलीज़ हो गई। ग़दर-2 के सुपर हिट होने का अंदाजा बस इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसने रिलीज़ होने से पहले ही एडवांस बुकिंग का एक नया ग्राफ रिकॉर्ड किया था। गदर-2 ने बुधवार तक तीन लाख इक्यानवे हजार नौ सौ पचहत्तर टिकट बुक कर रिकॉर्ड बनाया था। गदर की तरह ही इसके सिक्वल के भी हिट होने की बात कही जा रही है।
ग़दर-2 उसी कहानी को आगे बढ़ाती है, जो दर्शकों ने 22 साल पहले ‘गदर’ में देखी थी। सिक्वल फिल्मों की बात और है, कभी वे कमाई कर पाती हैं, कभी नहीं भी कर पाती हैं। लेकिन गदर के इस सिक्वल से फैन्स समेत मेकर्स को काफी उम्मीदें हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि यह फिल्म कमाई के सारे रिकार्ड्स तोड़ देगी।
कहानी
ग़दर फिल्म भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बैकग्राउंड पर आधारित थी। बंटवारे के दौरान पाकिस्तानी मेजर की बेटी सकीना (अमीषा पटेल) दंगों के बीच हिंदुस्तान में फंस जाती है। वह अपने परिवार से बिछड़ जाती है। जिसके बाद हिंदुस्तान में उसकी जान लेने की कोशिश की जाती है। इस बीच तारा सिंह (सनी देओल) सकीना की मदद करता है। इसी दौरान सकीना को तारा से प्यार हो जाता है और दोनों की शादी के बाद उनका एक बेटा भी पैदा होता है। इसी बीच पाकिस्तान में सकीना के पिता अशरफ अली को अपनी बेटी के जिंदा होने की बात पता लगती है। वह उसे साजिश के तहत पाकिस्तान ले आते हैं।

जिसके बाद तारा सिंह अपनी पत्नी को हिंदुस्तान वापस लाने के लिए बिना वीजा और पासपोर्ट के पाकिस्तान पहुँच जाता है। जिसके बाद वह पाकिस्तानी आर्मी और इस्लामिक कट्टरपंथियों से लोहा लेता हुआ सकीना को वापस हिंदुस्तान ले आता है। जहां पर इस फिल्म का पहला चैप्टर समाप्त होता है।
22 वर्ष पहले जब लोगों ने इस फिल्म को देखा था, तो उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि इस फिल्म का सिक्वल भी बनेगा। गदर-2 (Gadar-2 Movie Review) की कहानी वहीँ से शुरू होती है, जहां से ग़दर समाप्त होता है। पहली फिल्म जहां हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बंटवारे पर बनी थी, वहीँ इसके आगे की कहानी 1971 की जंग के पहले की है। पाकिस्तानी मेजर अशरफ अली को पाकिस्तान में तारा सिंह की मदद करने के आरोप में फांसी दे दी जाती है। तारा सिंह हिंदुस्तान में अपने बेटे जीते (उत्कर्ष शर्मा) और पत्नी सकीना के साथ रह रहा है।
Highlights
जीते का मन पढ़ाई में कम और नाटक व नौटंकी में ज्यादा लगता है। उसका सपना फिल्म स्टार (Gadar-2 Movie Review) बनने का है। तारा सिंह हिन्दुस्तानी आर्मी को रसद पहुँचाने का काम करता है। एक दिन उसे राम टेकड़ी पर हुए पाकिस्तान के हमले के बीच गोला बारूद पहुँचाने में मदद करनी होती है। हालात बिगड़ते हैं और खबर आती है कि तारा सिंह को पाकिस्तानी फ़ौज ने बंदी बना लिया है।

बस फिर क्या तारा सिंह का बेटा जीते अपने पिता को दुश्मनों के चंगुल से छुड़ाने भेष बदलकर (Gadar-2 Movie Review) निकल पड़ता है। जहां उसकी मुलाकात मुस्कान (सिमरत कौर) से होती है। वह उसकी सच्चाई जान जाती है, जिसके बाद वह उसके प्यार में पड़कर उसकी मदद करती है। मामला तब बिगड़ता है कि जब तारा सिंह अपने घर पहुँचता है और पाकिस्तानी सेना ISI की मदद से जीते को पकड़ लेती है।

गदर और गदर-2 का थीम एक ही है। पिछली बार सकीना हिंदुस्तान आई थी। इस बार (Gadar-2 Movie Review) मुस्कान आ रही है। इस बार चुनौती मुस्कान को लाने की है। जीते की अपने पिता को ढूंढने के मिशन के साथ ही जीते और मुस्कान की प्रेम कथा चलती रहती है। फिल्म के डायरेक्टर अनिल शर्मा ने ग़दर-2 (Gadar-2 Movie Review) में यह कथा आगे भी जारी रखने का संकेत दिया है। जीते हिन्दुस्तानी फ़ौज में शामिल हो जाता है। इसलिए यह भी संभव है कि आगे की कहानी कारगिल वार पर लिखी जाय।
मूल कहानी (Gadar-2 Movie Review) लिखने वाले शक्तिमान ने दर्शकों की भावना को अच्छे से भांप लिया है। उन पर सिक्वल (Gadar-2 Movie Review) का इतना दबाव पड़ा कि उन्होंने पहली फिल्म की तरह इस फिल्म को भी देश-प्रेम, पाकिस्तान विरोध, हिंदू-मुस्लिम भाई चारा और दो पीढ़ियों के आपसी प्रेम पर केंद्रित की है। फिल्म में उत्कर्ष शर्मा को जब पाकिस्तानी सेना पकड़ लेती है, तो उनका एक डायलाग है – ‘जिसके ऊपर पिता का साया है, तो उसे फिक्र करने की क्या जरूरत !’ इस डायलाग पर अनायास ही आंखें नम हो जाती हैं।
Gadar-2 Movie Review: कास्टिंग
फिल्म (Gadar-2) में सभी किरदारों ने अपना रोल बखूबी निभाया है। तारा सिंह अपने रोल में फिट बैठते हैं। फिल्म के एक सीन में जब वे एक सीन में कहते हैं, ‘दुश्मनों नूं पूछो कि तारा सिंह कौन है?’ इस सीन के बाद तो जैसे पुरानी याद ताजा हो जाती है। इसके बाद एक जब वे चारों ओर पाकिस्तानी सेना से घिरे अपने बेटे को बचाने के लिए जाते हैं और पाकिस्तानी मेजर से उनकी बहस होती है। वहां पर जो कटोरे वाला डायलाग दिया गया है।
उस सीन पर थिएटर में सीटियां बजने लगती हैं। वहीँ क्लाइमेक्स में एक सीन में अनिल शर्मा ने सनी देओल के पुराने हैण्डपंप वाले सीन को दिखाया है। जिसपर थिएटर में तालियों उनमें 22 साल पुरानी वही एनर्जी आज भी है।

अमीषा पटेल को करने को कुछ खास नहीं था। फिल्म (Gadar-2 Movie Review) में एक दो सीन में वे अच्छी दिखी हैं। खासकर उस सीन में जब सनी देओल उनसे लम्बे समय बिछड़ने के बाद वापस आते हैं। उत्कर्ष शर्मा फिल्म में अच्छे दिखे हैं। एक्शन से लेकर मासूमियत उनके चेहरे पर साफ़ दिखते हैं। क्लाइमेक्स के सीन (Gadar-2 Movie Review) में जब वे फिल्म ‘गदर’ के डायलाग ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद था, हिंदुस्तान जिंदाबाद है और हिंदुस्तान जिंदाबाद रहेगा’ को दोहराते हैं तो थिएटर में तालियां इस डायलाग के लिए भी बजती हिना और उत्कर्ष शर्मा के लिए भी।
उत्कर्ष शर्मा को फिल्म (Gadar-2 Movie Review) में सनी देओल के बराबर स्क्रीन प्रेजेंस दिया गया है। हालांकि उन्होंने अपने रोल से पूरी ईमानदारी बरती है। इस फिल्म के बाद से उम्मीद है कि डायरेक्टर अनिल शर्मा के बेटे उत्कर्ष शर्मा को आगे भी बेहतरीन फ़िल्में ऑफर होंगी। उत्कर्ष का साथ देने के लिए नई एक्ट्रेस सिमरत कौर को फिल्म में लीड एक्ट्रेस का रोल दिया गया है। पहली फिल्म के हिसाब से उन्होंने काम ठीक-ठाक किया है।
निर्देशन
यह फिल्म (Gadar-2 Movie Review) दर्शकों के उम्मीदों पर खरी उतरी है। मेकर्स ने भी इस बात का बखूबी ध्यान रखा है कि यह पहली फिल्म से कहीं भी कम नजर न आए। फिल्म के क्लाइमेक्स में वह सीन भी है, जब लाहौर की गलियों में तलवार लहराती भीड़ तारा सिंह को घेर लेती है और सामने हरे रंग का हैण्डपंप नजर आता है। जिसपर थिएटर में फिल्म देखते दर्शक अपने आप को सिटी बजाने से रोक नहीं पाते। इस एक सीन (Gadar-2 Movie Review) के लिए डायरेक्टर अनिल शर्मा ने काफी होशियारी बरती है।
पहले पार्ट में जहां तारा सिंह हैण्डपंप उखाड़ कर भीड़ को खदेड़ने की कोशिश करते हैं। वहीं इस बार भी उन्होंने यह सीन दोबारा फिल्म में डालने की कोशिश की है। अनिल शर्मा और सनी देओल इस फिल्म में एक दूसरे के पूरक बने हैं, वही इस फिल्म की जान है। सनी देओल का हथौड़ा वाला सीन देखने लायक है। इसके साथ ही बैकग्राउंड म्यूजिक वास्तव में गदर मचा देने वाला है।

अनिल शर्मा में 22 सालों में गदर के बाद 6 फ़िल्में की। उन्होंने अमिताभ बच्चन से लेकर प्रियंका चोपड़ा तक को कास्ट किया, लेकिन तब भी सनी देओल ने ही उनकी नैया पार लगाई। अनिल शर्मा को फिल्म ‘अपने’ के लिए काफी तारीफें मिली। जिसमें सनी देओल अपने पूरे परिवार के साथ कैमरे के सामने आए।
कमियां
बीते 22 वर्षों में इस फिल्म (Gadar-2 Movie Review) के दो सितारे यानी अमरीश पुरी और विवेक शौक इस दुनिया को छोड़कर अलविदा कह गए। फिल्म इन दोनों के अभिनय को श्रद्धांजलि भी है। अमरीश पूरी की जगह फिल्म में मनीष बाधवा को रोल दिया गया है। लेकिन अमरीश पुरी के खड़े होने मात्र से लोग उनके खतरनाक विलन होने का अंदाजा लगा लेते थे। मनीष बाधवा उनकी जगह लेने में पूरी तरह से फेल साबित हुए।
अशरफ अली के रौद्र रूप का वे दस प्रतिशत भी नहीं अपना पाए। उनके लिए बस इतना कहना गलत नहीं होगा कि केवल सिगार जलाने मात्र से या फिर बात-बात पर कत्लेआम करने से कोई विलन नहीं हो जाता। हालांकि मनीष बाधवा इससे पहले भी फिल्मों में नजर आए हैं। उन्हें यदि अच्छा काम मिले, तो वे ज़रूर बॉलीवुड में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं।
प्रेम कथा की पहली फिल्म जहां भारत और पाकिस्तान के बंटवारे पर आधारित थी, वहीं यह फिल्म (Gadar-2 Movie Review) 1971 के बैकग्राउंड पर बनाई गई है, लेकिन फिल्म एक या दो सीन को छोड़ दें, तो फिल्म इस बैकग्राउंड को अपनाने में पूरी तरह विफल रही है। एक सीन में जब सनी देओल पाकिस्तान पहुंचते हैं, तो उस समय पाकिस्तान में ‘क्रश इंडिया’ के नारे लग रहे होते हैं। इस सीन को और भी बढ़िया बनाया जा सकता था। 1971 में भारत में बांग्लादेश अलग हुआ था। जिस पर केंद्रित कर यदि कहानी बनाते तो यह और बेहतरीन बनती।

सनी देओल या फिर उनके बेटे को पाकिस्तान पहुँचने में कोई तकलीफ नहीं होती। वे दोनों पाकिस्तान की यात्रा पर ऐसे जाते हैं, जैसे पड़ोसी राज्य की यात्रा पर जा रहे हों। जीते बड़ी आसानी से पाकिस्तान में नौकरी पा जाता है, जहां से वह अपने पिता के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश करता है। यही फिल्म (Gadar-2 Movie Review) की सबसे बड़ी कमी है। पहली फिल्म ने जहां लोगों के इमोशंस के साथ खूब खेला था, वहीँ इस फिल्म में जरा सा भी इमोशन नहीं है। पहली फिल्म ने लोगों को अपनी सीट से बांधे रखा था। लेकिन यह फिल्म यदि दर्शक एक बार न भी देखें तो दर्शक इसके लिए संतोष कर जाएंगे।
गाने
फिल्म के दो गाने ‘उड़ जा काले कांवा…’ और ‘मैं निकला गड्डी लेके…’ कालजयी हैं। जिससे छेड़छाड़ न करके डायरेक्टर ने अपनी बुद्धिमानी का परिचय दिया है। खासकर ‘मैं निकला गड्डी लेके…’ गाने में पता और पुत्र की केमिस्ट्री दिखती है। साथ ही उनके डांस मूव्स गाने को और मजेदार बना देते हैं। इन दो गानों के अलावा फिल्म में और कोई भी गाने फिल्म पर कोई छाप नहीं छोड़ पाते।
इन्हें (Gadar-2 Movie Review) देखकर ऐसा लगता है कि ये बेवजह फिल्म की टाइमिंग बढ़ाने के लिए डाले गए हैं। पहली फिल्म में तारा सिंह सकीना को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार होता है। लेकिन इस फिल्म में तारा और सकीना के मासूम प्यार को इन दो नए एक्टर्स के प्यार से रिप्लेस किया गया है। जो कि कहीं से भी तारा और सकीना का मुकाबला नहीं कर पाते।
मेकर्स ने फिल्म (Gadar-2 Movie Review) को देखने के लिए बिलकुल सही तारीख चुनी है। गदर पहले से ही देश प्रेम पर आधारित थी। अब 15 अगस्त को इस फिल्म को देखना दर्शकों के लिए वास्तव में मजेदार बना देगा। इसके साथ ही मेकर्स ने इस फिल्म के रिलीज़ के दो महीने पहले पहली फिल्म को थ्री-डी अब देखना यह होगा कि पहली फिल्म की अपेक्षा सिक्वल कौन सा इतिहास कायम कर पाती है।